वाराणसी:उत्तर प्रदेश सरकार इस बार बड़ी संख्या में पूरे प्रदेश में पौधे लगाने की तैयारी कर रही है और अकेले प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 20,77,618 पौधे लगाने का टारगेट दिया गया है. लेकिन, इन सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि पिछले साल लगाए गए 18 लाख से ज्यादा पौधों में से सभी सुरक्षित हैं या नहीं? शायद इस सवाल का जवाब नहीं होगा, क्योंकि पिछली बार बहुत से ऐसे पौधे ऐसी जगहों पर लगाए गए थे, जहां अब नई प्लानिंग के साथ विकास के नए काम हो गए और पौधों का तो नामो-निशान नहीं है. कुछ ऐसी ही हकीकत से रूबरू करवाएगी आपको यह रिपोर्ट...
वन विभाग के प्रशासनिक अधिकारी मोहन लाल ने बताया कि इस बार वन विभाग ने तैयारियां की हैं. 2022 में सरकार की तरफ से वाराणसी मंडल को 20,77,618 पौधे लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिसमें अकेले वन विभाग को 6,59,358 पौधे और अलग-अलग 26 विभाग को 14,18,260 पौधे लगाने का लक्ष्य मिला है. इसके लिए कुल 22 नर्सरियों में 35,70,000 पौधे तैयार करवाए गए हैं. इन सभी पौधों को अलग-अलग विभागों को वितरित करने के साथ ही इन्हें लगवाने और फिर पूरे साल सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी इन्हीं विभागों की होगी.
पिछले साल लगे थे टारगेट से ज्यादा पौधे:वन विभाग के प्रशासनिक अधिकारी के अनुसार 2021 में सरकार की तरफ से दिए गए पौधे लगाने के टारगेट की तुलना में इस बार करीब तीन लाख ज्यादा है. यानी पिछली बार सरकार की तरफ से वाराणसी रीजन में 17,67,859 पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया था. लेकिन विभाग ने 18,06,707 पौधे लगाए थे. जब ईटीवी भारत ने इन लगाए गए पौधों की हकीकत जानने के लिए शहर के कुछ इलाकों का रुख किया तो सब दूध का दूध पानी का पानी हो गया. यहां पर अलग-अलग विभागों ने हजारों की संख्या में पौधे लगाने का दावा किया था.
लगाए गए पौधों का अस्तित्व खत्म:वहीं, चौकाघाट फ्लाईओवर के नीचे लगाए गए पौधों की हकीकत जानने के लिए जब हम यहां पहुंचे, तो यहां ना तो पौधे मिले और ना ही हरियाली. हालात यह थे कि बचे हुए पौधों को सुरक्षित रखने के लिए पिलर के चारों तरफ जालियां बनाई गई थी, जिसकी हालत बेहद ही खराब थी. हालांकि, यहां पर अब एक नाइट बाजार बनाने की तैयारी चल रही है और कच्ची मिट्टी को हटाकर पक्की जमीन तैयार हो रही है, जिसकी वजह से लगाए गए पौधों का अस्तित्व ही खत्म हो चुका है.