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खिले फूलों को तोड़कर फेंकने को मजबूर हैं वाराणसी के किसान

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में फूलों की खेती करने वाले किसान बहुत परेशान हैं. बिक्री नहीं होने से खिले हुए फूलों को तोड़कर वह फेंकने को मजबूर हैं. ईटीवी भारत की टीम फूल किसानों के पास पहुंची और उनसे बातचीत की.

वाराणसी में फूलों के किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट
वाराणसी में फूलों के किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट

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Published : May 14, 2020, 6:50 PM IST

वाराणसी: देश भर में कोरोना वायरस की मार के कारण लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा है. लॉकडाउन के दौरान जरूरी चीजों को छोड़कर लगभग सभी कारोबार बंद हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा व्यापारी और किसान परेशान हैं, क्योंकि किसानों की फसल लॉकडाउन के कारण बिक नहीं पा रही है. ईटीवी भारत की टीम वाराणसी के चिरईगांव ब्लॉक स्थित दीनापुर गांव में पहुंची और फूलों के किसानों से बात की. किसानों ने बताया कि इस समय फूलों की बिक्री नहीं हो रही है, इस वजह से किसान फूलों को तोड़कर फेंकने के लिए मजबूर हैं.

वाराणसी में फूलों के किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट

फूलों के किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट

वैसे तो फूलों का कारोबार वर्ष भर चलता है, लेकिन दिसंबर माह शुरू होते ही फूलों की बिक्री तेज हो जाती है. इस बार लॉकडाउन के कारण मंदिर, शादियां आदि सब कुछ बंद हैं. ऐसे में फूल किसानों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है. लॉकडाउन के कारण बाजारों में फूल नहीं बिक रहे हैं, जिससे किसान खिले हुए फूलों को तोड़कर उन्हें फेंक दे रहे हैं. किसान इस उम्मीद में हैं कि जो नई कली निकलेगी शायद तब तक लॉकडाउन खत्म हो जाएगा, तो उस फूल को बेचकर उन्हें दो पैसे का मुनाफा हो सकेगा.

लॉकडाउन की वजह से नहीं बिक रहे फूल

ईटीवी भारत की टीम ने फूलों की खेती करने वाले किसानों से बातचीत की, तो उन्होंने बताया कि दिसंबर से उन्होंने फूलों के पौधों को लगाना शुरू किया था और अब इनमें अच्छे फूल आ रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन की वजह से फूल बिके नहीं और गुलाब के अलावा अन्य फूलों को जानवर भी नहीं खाते इसलिए वह इसे कचरे में फेंकने के लिए मजबूर हैं. किसानों का कहना है कि मुश्किल से बच्चों का पेट पाल रहे हैं, एक वक्त का खाना खा रहे हैं और एक वक्त नहीं खा रहे हैं. वह इस उम्मीद में इस पेड़ को जिंदा रखे हुए हैं कि शायद लॉकडाउन खत्म हो जाएगा तो वापस इसे बाजार में बेचेंगे.

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