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नाले में बदली वाराणसी की अस्सी नदी, अब साफ-सफाई में जापानी एजेंसी कर रही है मदद - cleaning of Varanasi Assi river

वाराणसी में गंगा का अस्सी घाट काफी मशहूर है. कभी यहां गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की थी. इस अस्सी घाट पर ही वाराणसी की अस्सी नदी का गंगा में संगम होता है. मगर लोगों की उपेक्षा ने इस ऐतिहासिक नदी को नाला ( Assi river turned into drain) बना दिया है. अब एक बार फिर अस्सी नदी को पुनर्जीवित करने की कवायद शुरू हुई है.

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Published : Nov 29, 2022, 9:27 PM IST

वाराणसी :अमूमन बनारस कहे जाने वाले शहर को वाराणसी का नाम क्यों मिला. जवाब है कि वरुणा और अस्सी नदी के बीच बसे होने के कारण शहर को वाराणसी के नाम से जाना जाता है. बनारस के आसपास से तीन नदियां गुजरती हैं. वरुणा, अस्सी और गंगा. गंगा तो वाराणसी में अभी भी बह रही है मगर वरुणा और अस्सी नदी अपना अस्तित्व खो चुकी है. फिलहाल अस्सी नदी अभी उद्गम स्थल कंचनपुर में ही नाले की तरह दिखती है ( Assi river turned into drain), जो वाराणसी के अस्सी घाट के पास गंगा में मिलती है. गंगा में मिलने के दौरान तो यह पूरे तरह से सीवर ड्रेन नजर आती है.अब सरकार ने इस नाला बनी अस्सी की सुध ली है. वाराणसी नगर निगम का जलकल विभाग जापान सरकार की एजेंसी जायका की मदद से अस्सी नदी को पुनर्जीवित करेगा. इस नदी की साफ-सफाई की शुरुआत अस्सी नदी के उद्गम स्थल से होगी. ( cleaning of Varanasi Assi river)

नाले में बदली वाराणसी की अस्सी नदी.
वाराणसी में वरुणा नदी का अस्तित्व खतरे में है. अस्सी नदी का अस्तित्व ही खत्म हो गया है. अब नाले में तब्दील हो गई है. हद तो यह है कि नगर निगम समेत आधिकारिक डॉक्युमेंट्स में यह अस्सी नाला ही कहा जाता है. अब जापान की एक टीम अस्सी नदी के अस्तित्व के खत्म होने की वजह की तलाश कर रही है. वाराणसी जलकल के महाप्रबंधक रघुवेंद्र कुमार ने बताया कि अस्सी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए नए सिरे से प्लानिंग हुई है. अस्सी नदी के स्वरूप को वापस लाने का प्रयास जारी है. प्लान के मुताबिक अस्सी के बहाव के इलाके में बने घरों में सेफ्टी टैंकों की रेगुलर क्लीनिंग करना जरूरी है. मानक के अनुसार तीन साल में कम से कम एक बार सेफ्टी टैंक की सफाई आवश्यक है. इस सफाई अभियान की शुरुआत कंचनपुर एरिया से होगी, जो अस्सी का उद्गम स्थल माना जाता है.


जलकल महाप्रबंधक का कहना है कि जापान के साथ मिलकर विभाग एचटीयू पोर्टेबल ट्रीटमेंट यूनिट स्थापित किया जाएगा. सेफ्टी टैंक और घरों से निकलने वाले गंदे पानी को एसटीपी के जरिये साफ करने के बाद ही नदी में भेजा जाएगा. हालात को जानने के लिए एक यूनिवर्सिटी के सहयोग से विभाग इस इलाके का सर्वे किया जा रहा है. इस प्लान के मुताबिक अस्सी नदी के आसपास के तालाब भी साफ होंगे. इन तालाबों को अमृत सरोवर के कांसेप्ट के तहत बेहतर किया जाएगा. अस्सी नदी के रूट में अतिक्रमण को हटाने का काम कई डिपार्टमेंट को सौंपा गया है. विभाग ने अब तक 700 घरों में सर्वे किया है. सर्वे में यह बात सामने आई है कि इतनी बड़ी आबादी ने कभी भी अपने सेफ्टी टैंक साफ नहीं करवाएं गए हैं. इस कारण अस्सी नदी मैली हो रही है.

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