वाराणसी: गंगा-जमुनी तहजीब की नगरी काशी के संगीत घराने की शान उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की आज तेरहवीं बरसी मनायी गई. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि काशी को संगीत घरानों की नगरी माना जाता है क्योंकि यहां पर विभिन्न घरानों के जो संगीतज्ञ हुए उन्होंने पूरे देश में नाम कमाया.
याद किये गये भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान. याद किये गये उस्ताद बिस्मिल्लाह खान-दरअसल, आज ही के दिन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खांन वर्ष 2006 में दुनिया को अलविदा कह गए थे. बिस्मिल्लाह खान के तेरहवीं बरसी पर सिगरा स्थित फातमान पर परिजनों ने उनके मकबरे पर पुष्प अर्पित कर उनको याद किया. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने शहनाई की विधा को विश्व में नाम दिलाया. खान साहब को संगीत की सभी उपाधियों से अलग-अलग समय पर सम्मानित भी किया गया. 2002 में खान साहब और लता मंगेशकर को एक साथ महान उपाधि भारत रत्न से नवाजा गया.
वादे से मुकरी सरकार-यूपी और केंद्र की सरकार ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के निधन के बाद उनका मकबरा संगमरमर के पत्थरों से बनवाने का वादा किया था. उस्ताद के नाम पर संगीत अकादमी खोलने की भी बात की गई थी. कैंट रेलवे स्टेशन पर उनकी एक भव्य प्रतिमा लगाने का वादा किया गया था. रेलवे स्टेशनों पर उनके शहनाई की धुन बजाने की बात कही गई थी. लेकिन इनमें कोई वादा पूरा नहीं हुआ जिसे लेकर आज भी सरकारों के प्रति उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के परिवार वालों में नाराजगी साफ दिखाई देती है.