वाराणसी:यूपी एक खोज में आज हम आपको मंदिरों का शहर कहे जाने वाले काशी में एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आपको काशी की प्राचीनता की जानकारी होगी. यह मंदिर काशी के पुराने मोहल्लों में शुमार अस्सी क्षेत्र में है. यह मंदिर भोगसेन भगवान (विष्णु मंदिर) का है. भोगसेन भगवान की मूर्ति देखने में बिल्कुल त्रिवेंद्रम के पद्मनाभम मूर्ति की तरह लगती है. वाराणसी में दक्षिण भारत की शैली में बना हुआ यह मंदिर आपको अपनी ओर आकर्षित करेगा.
महादेव की नगरी काशी में उनके आराध्य भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति बेहद ही खूबसूरत कही जाती है. मूर्ति का वजन 21 टन है. इस मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी मिलता है. काशीवासियों के साथ ही दक्षिण भारत से भी लोग इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. मंदिर की बनावट बिल्कुल दक्षिण भारत के मंदिर से मिलता-जुलती है. मंदिर की दीवारों पर दक्षिण भारत के मंदिरों की तरह शंख व चक्र बनाए गए हैं.
स्कंद पुराण में मिलता है मंदिर का वर्णन
पुजारी सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में है. भगवान हरि का निवास स्थान अस्सी है. कालांतर में मंदिर का जीर्णोंद्धार किया गया. त्रिवेंद्रम से मूर्ति लाकर यहां पर स्थापित की गई. काशी में तीन खंड में भगवान हरि विराजते हैं. पंचगंगा घाट पर आदी केशव, वरुणा नदी के मध्य केशव और अस्सी क्षेत्र पर भोगसेन भगवान (विष्णु मंदिर) का मंदिर स्थापित है.
त्रिवेंद्रम और काशी की मूर्ति में अंतर
पुजारी सत्येंद्र मिश्र ने बताया कि भगवान यहां पर प्रमोद मुद्रा में विराजमान हैं. भगवान शेषनाग पर शयन किए हुए हैं. मां लक्ष्मी भगवान के पैर दबा रही हैं. पद्मनाभ मंदिर में भगवान की नाभि से ब्रह्मा निकले हैं. रामानुजाचार्य महाराज अस्सी घाट पर स्नान किए हुए हैं. यह 1000 वर्ष पुराने मंदिर का इतिहास है.
दर्शन करने का महत्व