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काशी तमिल संगमम के समापन पर बोले अमित शाह, देश की सांस्कृतिक में जहर घोलने का प्रयास किया गया था - वाराणसी में गृहमंत्री अमित शाह

तमिलनाडु की परंपराओं व संस्कृति से काशी का जुड़ाव दिखा रहे काशी तमिल संगमम (Kashi Tamil Sangamam in Varanasi) अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर है. इसके समापन समारोह में गृहमंत्री अमित शाह (Union Minister Amit Shah in Varanasi) शामिल होने वाराणसी पहुंच चुके हैं.

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Published : Dec 16, 2022, 6:25 AM IST

Updated : Dec 16, 2022, 10:41 PM IST

वाराणसी:धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में एक महीने तक चले काशी तमिल संगमम का भव्य आयोजन के साथ समापन हो गया. बीएचयू के एम्फीथिएटर ग्राउंड मुक्ताकाशी प्रांगण में आयोजित इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भारत सरकार के गृहमंत्री अमित शाह मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे. काशी और तमिलनाडु के संस्कृति सभ्यता और व्यापार को जोड़ने के लिए आयोजित भव्य कार्यक्रम में शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए. इस अवसर पर 'मोदी@20: ड्रीम्स मीट डिलीवरी' और 'आंबेडकर एवं मोदी: सुधारक का विचार परफॉर्मर का काम' के तमिल संस्करण का विमोचन भी किया गया.

गृह मंत्री अमित शाह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के बाद एक समय ऐसा आया कि देश की सांस्कृतिक एकता के बीच में जहर घोलने का प्रयास किया गया. कई प्रकार के अलग-अलग विचारों के माध्यम से एक ही देश के दो समाजों को भी मुक्त करने का प्रयास किया गया. परंतु अब समय आ गया है कि 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की रचना करने का, भारतीय सांस्कृतिक एकता से ही होगी.

तमिलनाडु वाले कभी काशी को भूल नहीं सकते
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि 'एकता में दक्षिण के संस्कृति एग्जाम उत्तर के संस्कृति को सेतु बनाने का काम किया है. मैं भरोसा करता हूं मैं यहीं से भारत के सांस्कृतिक का पुन जागरण होने का शुरुआत हो रहा है. इस कार्यक्रम में 2500 की संख्या में तमिल भाई बहन ने अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले भाई-बहन आए सरकार व्यवस्थाओं के माध्यम से 10000 तमिल भाइयों ने हिस्सा लिया. इसमें कई सारी दूरियों को समाप्त करने का काम किया है. मैं काशी वासियों का भी धन्यवाद करना चाहता हूं. तमिलनाडु से आए हुए हमारे सभी भाई बहनों को दो लाख से ज्यादा काशी वासियों ने स्वागत किया है. आप तमिलनाडु वाले कभी काशी को भूल नहीं सकते.

शिक्षा का मतलब मातृभाषा होनी चाहिए
गृहमंत्री ने कहा कि 'एक संगम के अंदर आध्यात्मिक सांस्कृतिक, वास्तुकला, साहित्य, व्यापार शिक्षा ,कला, नृत्य, संगीत भाषाओं का आदान-प्रदान का अद्भुत मंच काशी तमिल संगम बना. इसे काशी तमिल संगम में पूरे उत्तर भारत के सभी भारतवासियों को जानकारी मिली है कि तमिल भाषा विश्व की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है. इस स्थान से भरतनाट्यम देखा तो कई लोगों के मन में सवाल उठा कि भरतनाट्यम तो हम रोज देखते हैं, क्या हम तमिलनाडु से हैं.

अमित शाह ने आगे कहा कि उत्तर से गुजरात तक, गुजरात से लेकर बंगाल तक, बंगाल से लेकर केरल तक के महान देश हमारे तमिल भाइयों अगर करने के लिए हृदय से तैयार हैं. विश्वास और प्रेम एक समानता है, दोनों को जबरदस्ती पैदा नहीं किया जा सकता. पास अगर अर्जित करना है तो विश्वास रखना होगा, प्रेम अगर प्राप्त करना होगा तो प्रेम करना चाहिए और आज काशी तमिल संगम में यह दोनों योग्य विश्वास और प्रेम का नया माहौल का काम बनाने के लिए मैं मानता हूं आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष की सबसे बड़ी उपलब्धि है. यह नई शिक्षा नीति की आत्मा है. हमारी अपनी भाषाएं हमारी अपनी भाषा का गौरव है, इसलिए मोदी जी ने कहा है कि शिक्षा का मतलब मातृभाषा होनी चाहिए. तमिलनाडु के अंदर मेडिकल एजुकेशन, डिग्री एजुकेशन ऑल के एजुकेशन की भाषा तमिल माध्यम में हो यह सुनिश्चित करना चाहिए, जिससे तमिल भाषा को मजबूती प्रदान मिले. अमित शाह ने मंच से कहा मेरे तमिल भाई जो यहां पर आए हैं. यहां से गंगाजल लेकर जाइएगा. मैं वादा करता हूं मैं जब रामेश्वरम आऊंगा तो गंगाजल लेकर अभिषेक करूंगा.'

मंच पर पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से काशी तमिल संगमम का शुभारंभ हुआ था. एक माह में तमिलनाडु से अलग—अलग समूहों में आकर लोगों ने न केवल दुनिया की दो प्राचीनतम सभ्यता और संस्कृति को जाना बल्कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना को मूर्त रूप होते हुए देखा है. उत्तर प्रदेश आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व करता है तो तमिलनाडु भी इसी परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है. जो कि इस आयोजन के जरिए साकार किया जा रहा है.

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री की पहल पर काशी तमिल संगमम का ऐतिहासिक आयोजन हुआ. इस आयोजन के जरिए दो संस्कृतियों का मिलन हुआ. इस संगमम में काशी और तमिल का जुड़ाव तो हुआ ही साथ ही काशी और तमिलवासियों को बहुत कुछ सीखने का अवसर भी मिला. इससे काशीवासियों को तमिल भाषा, साहित्य एवं संस्कृति को आत्मसात करने का अवसर भी मिला है. काशी तमिल संगमम की सफलता इसी से परिलक्षित होती है कि बीएचयू के ऐतिहासिक परिसर में 2 लाख से अधिक लोग पहुंचे. वहीं, लाखों लोग डिजिटल माध्यम से जुड़े रहे. कार्यक्रम में तमिलनाडु और काशी के 1500 से अधिक कलाकार, 300 से अधिक विशिष्ट अतिथि, 75 विशेषज्ञ वक्ता शामिल हुए.

तमिलनाडु के राज्यपाल रविंद्र नारायण रवि ने कहा कि इस पर्व से हजारों साल पुरानी काशी और तमिल के बीच जो घनिष्ठ संबंध रहा है, उसे पुर्नजीवित किया जा रहा है. यह पर्व भले ही आज समाप्त हो रहा है लेकिन आने वाले दिनों में यह संबंध और मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि इस संगमम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच को साकार किया गया. इस संगमम से एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान को और ताकत मिलेगी.

हिंदी और तमिल भाषा अलग-अलग लेकिन भावना एक
केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति मंत्री और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास विभाग के मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि इस भव्य कार्यक्रम के जरिए काशी और तमिल का पुराना मिलन पुर्नजीवित हुआ है. इस आयोजन के जरिए भारत की विविधता को एकता में पिरोया गया है. इस आयोजन के जरिए एक भारत श्रेष्ठ भारत को साकार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हिंदी और तमिल भाषा अलग—अलग हो सकती है लेकिन भावना एक ही है.

समापन समारोह के दौरान आयोजित सांस्कृतिक संध्या में तमिलनाडु और स्थानीय लोक कलाकारों के समूह द्वारा गायन वादन एवं नृत्य की मनोहारी एवं प्रभावशाली प्रस्तुति ने उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया. इस अवसर पर के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रवींद्र नारायण रवि, तमिलनाडु के राज्यपाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री भारत सरकार धर्मेंद्र प्रधान, गंगापुरम किशन रेड्डी, पर्यटन, संस्कृति मंत्री और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय, डॉ. लोगनाथन मुरुगन, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री, चमू कृष्ण शास्त्री, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार जैन वी. कामकोटि, निदेशक आईआईटी मद्रास सहित कई गणमान्य अतिथि मौजूद रहे.


एक महीने तक चला काशी तमिल संगमम कार्यक्रम
आजादी का अमृत महोत्सव के तहत 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना को कायम रखने के लिए काशी तमिल संगमम का आयोजन किया गया था। एक महीने तक चलने वाले इस महोत्सव का उद्घाटन 19 नवंबर 2022 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। सम्मेलन का उद्देश्य तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को पुर्नजीवित करना था. तमिलनाडु के सांस्कृतिक और लोक कलाकारों, साहित्यकारों, उद्यमियों, किसानों, धार्मिक लोगों, खिलाड़ियों आदि के छोटे जत्थों में 2,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने काशी तमिल संगमम उत्सव में भाग लिया। तमिलनाडु से आए समूहों ने काशी के अलावा प्रयागराज और अयोध्या का भी भ्रमण किया. सम्मेलन में उत्तर और दक्षिण के लोगों के बीच शिक्षा, कला और संस्कृति, साहित्य, खेल आदि के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों के अलावा कला, फिल्म, हथकरघा और हस्तशिल्प आदि की प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया. एक माह के महोत्सव में केंद्रीय मंत्रियों के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री गण और गणमान्य अतिथि समय-समय पर आते रहे. काशी तमिलनाडु समगम में 12000 डेलीगेट आए 9 ग्रुप में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए. 700 कलाकार तमिलनाडु से आए और 500 कलाकार काशी रहे. 300 एक्सपर्ट भाषण के लिए आए थे. कई प्रकार के एकेडमी कार्यक्रम किए गए.

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Last Updated : Dec 16, 2022, 10:41 PM IST

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