वाराणसी :मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र द्वारा आयोजित व्याख्यान माला के अंतर्गत पहला व्याख्यान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. डीपी सिंह ने दिया. वेब लिंक के माध्यम से कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब संपूर्ण देश विषम परिस्थितियों से गुजर रहा था और परतंत्रता की जंजीरों में जकड़ा था. ऐसे वक्त में महामना ने एक ऐसे विश्वविद्यालय की संकल्पना की जो न केवल शैक्षिक विकास, बल्कि चरित्र निर्माण का भी कार्य करे और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाए. ऐसी दृष्टि केवल महामना जैसे महान व्यक्तित्व की ही हो सकती थी.
शिक्षा के क्षेत्र में दिया महत्वपूर्ण योगदान
प्रो. डीपी सिंह ने कहा कि अपने सार्वजनिक जीवन में मालवीय का सबसे महत्वपूर्ण योगदान शिक्षा के क्षेत्र में रहा और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में वह आज न सिर्फ देश भर में अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ख्याति अर्जित कर रहा है. मालवीय जी मानते थे कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण होना चाहिए. उनकी सोच थी कि बौद्धिक विकास से अधिक महत्वपूर्ण चारित्रिक विकास है. इन्हीं विचारों को आधार बनाकर उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की संकल्पना को मूर्त रूप दिया.
महिलाओं की शिक्षा के थे पैरोकार
यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि महामना की इसी दृष्टि को आज नए विश्वविद्यालयों एवं शैक्षिक संस्थानों की स्थापना के केन्द्र में रखना होगा. मालवीय जी महिलाओं की शिक्षा के पुरजोर पैरोकार थे क्योंकि उनका मानना था कि महिलाएं ही भविष्य को जन्म देंगी और उनकी शिक्षा एक उज्जवल व सशक्त भविष्य का आधार बनेंगी. प्रो. डीपी सिंह ने कहा कि महामना का विचार था कि भारत को एक न एक दिन तो स्वतंत्रता मिल ही जाएगी और जब अंग्रेज इस देश से चले जाएंगे, तब स्वतंत्र भारत के निर्माण के लिए ऐसे चरित्रवान नागरिकों की आवश्यकता होगी, जो देश और समाज को आगे ले जा सकें. ऐसी स्थिति में एक ऐसी संस्था का होना अत्यंत आवश्यक है जो देश को मूल्य समृद्ध नागरिक दे. उन्होंने कहा कि मालवीय जी का मानना था कि भारत को अपने भावी मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए अधिक प्रबुद्ध और योग्यनिष्ठ नागरिकों की आवश्यकता होगी जो कि गुणात्मक शिक्षा द्वारा ही संभव है. मालवीय जी का यही विचार आज काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में हम सब के सामने है.
मातृ संस्था है काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
प्रो. सिंह ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सिर्फ व्यक्तियों की संस्था नहीं है, बल्कि इसे हम संस्थाओं की मातृ संस्था भी कह सकते हैं. उन्होंने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की दूरदर्शिता व उनके शैक्षिक दर्शन का एक अनुपम उदाहरण है, जिसे सर्वविद्या की राजधानी कहा जाता है.
महामना का प्रतिबिंबित होता है शैक्षिक चिंतन
प्रो. डी. पी. सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में महामना का शैक्षिक चिंतन प्रतिबिंबित होता है, उनकी सोच दिखाई देती है और समग्र शिक्षा का महामना का भाव इसमें दिखता है. उन्होंने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की अध्यक्षता में कैबिनेट के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंज़ूरी दी गई एवं शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक इसके क्रियान्वयन के लिए तत्पर है. प्रो. सिंह ने कहा कि कई समितियां व विशेषज्ञ समूह इसके क्रियान्वयन के लिए सक्रियता से लगे हुए हैं और जल्दी ही इसे लागू करने की योजना देश के सामने होगी. उन्होंने कहा कि महामना समेत तमाम महान शिक्षाविदों व महापुरुषों, चाहे वे स्वामी विवेदानंद हों, महात्मा गांधी हों, डॉ. राधाकृष्णन हों या फिर पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम हों, सभी ने समग्र शिक्षा, चरित्र निर्माण, शिक्षा को राष्ट्र विकास व राष्ट्र निर्माण से जोड़ने की बात की है. उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि जब हमारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वित होने जा रही है हम भारत के गौरवशाली अतीत को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ें और इसके क्रियान्वयन में अपना योगदान दें. उन्होंने सभी से अपील की कि वे महामना को पढ़ें, उनके बारे में जानें और उनके आदर्शों व सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें.
शिक्षा को चुना माध्यम
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने कहा कि महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा को एक माध्यम चुना. उनका ये मानना था कि शिक्षा एक ऐसा प्रकाश है, जो गरीबी, भुखमरी और अशिक्षा के अंधकार को दूर करता है और इसी ध्येय से उन्होंने राष्ट्र निर्माण के उद्देश्य से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की, जहां विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनका चरित्र निर्माण भी किया जा सके, जिससे वे हमेशा अपनी मातृभूमि से प्रेम करें और जनकल्याण में भागीदार बनें.
प्रो. भटनागर ने कहा कि महामना की बगिया में उनके विचारों के अनुरुप विश्वविद्यालय के विकास एवं शिक्षा पद्धति को और सुदृढ़ बनाने के लिए कई सफल प्रयास किए गए हैं, जो निरन्तर जारी हैं. उन्होंने विश्वास जताया कि यह विश्वविद्यालय निश्चय ही विश्व स्तर पर सफलता के नए आयाम छुएगा तथा यहां से निकले छात्र राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करते रहेंगे.
महामना पर शुरू किया जाए कोर्स
विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद् के सदस्य प्रो. आनंद मोहन ने कहा कि प्रो. डी. पी. सिंह के व्याख्यान से छात्रों, शिक्षकों व शिक्षा जगत से जुड़े सभी लोगों का उत्साहवर्धन होगा व प्रेरणा मिलेगी. उन्होंने अनुरोध किया कि महामना के आदर्शों व विचारों के बारे में एक ऐसा कोर्स आरम्भ किया जाए, जिससे देश भर में छात्रों को उन्हें और पढ़ने का मौका मिले और जीवन को नई दिशा देने की प्रेरणा भी.
मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के संयोजक प्रो. आशा राम त्रिपाठी ने धन्यवाद भाषण प्रेषित करते हुए कहा कि केन्द्र सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मानवीय मूल्यों के संवर्धन का कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र का जो आज का स्वरूप है उसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. डी. पी. सिंह एवं वर्तमान कुलपति प्रो. राकेश भटनागर का महत्वपूर्ण योगदान है.
ये लोग रहे मौजूद
कुलपति आवास पर वेब लिंक के माध्यम से आयोजित कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद के सदस्य प्रो. बच्चा सिंह, प्रो. आद्या प्रसाद पाण्डेय, कुलसचिव डॉ. नीरज त्रिपाठी, प्रो. एके सिंह, डॉ. उषा त्रिपाठी समेत अन्य लोग उपस्थित रहे. इसके साथ-साथ अनेक केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति व राष्ट्रीय संस्थानों के प्रमुख व पदाधिकारी, छात्र व शिक्षक कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े.