वाराणसी: 'गंगा तेरा पानी अमृत' और इसी अमृत को बचाने के लिए लंबे वक्त से सरकारें प्रयास कर रही हैं. कितनी सरकारें आईं और गईं, लेकिन गंगा के हालात क्या अभी सुधर सके हैं? यह सवाल बड़ा है. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से चुनाव जीतने के बाद गंगा निर्मलीकरण अभियान को रफ्तार देने की कोशिश की. पीएम मोदी ने खुद गंगा के किनारे पहुंचकर श्रमदान किया और गंगा स्वच्छता के लिए नए मंत्रालय को बनाकर इस प्रयास को एक नया रूप देने की कोशिश की, लेकिन क्या उनके संसदीय क्षेत्र बनारस में गंगा वाकई में साफ हो गई है और क्या अब कोई भी नाला गंगा में सीधे नहीं गिर रहा? इन्हीं सवालों का जवाब हमने तलाशने की कोशिश की.
इसके बाद स्पष्ट हुआ कि गंगा को दूषित करने का काम उसकी ही दो सहायक नदियां अस्सी और वरुणा कर रही हैं. यह हम नहीं कह रहे बल्कि जल निगम व गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारी के रहे हैं. वर्तमान समय में वाराणसी में गंगा में जा रहे सीवर को रोकने के लिए संचालित हो रहे 8 एसटीपी भी अब तक गंगा में गिर रहे सीवर को पूरी तरह से रोकने में नाकाम है. हालात ये हैं कि वाराणसी में लगभग 332 एमएलडी सीवरेज को भले ही शोधित करके गंगा में भेजा जा रहा है, लेकिन अब भी लगभग 80 से 85% सीवरेज सीधे गंगा में जा रहा है. जिसके लिए दोषी गंगा की सहायक नदी अस्सी और वरुणा है.
दरअसल, वाराणसी को अस्सी और वरुणा के बीच के संगम के तौर पर जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि पूरा वाराणसी वरुणा और अस्सी के बीच में ही बसा हुआ है और इन दो सहायक नदियों के उद्गम से लेकर अंत तक यह इतनी ज्यादा प्रदूषित हो चुकी हैं कि इनसे गंगा के स्वच्छता पर सीधा असर पड़ रहा है. इस बारे में उत्तर प्रदेश जल निगम और गंगा स्वच्छता का काम देख रहे परियोजना अभियंता विकी कश्यप का कहना है कि बनारस में तमाम काम हो रहा है. बहुत से एसटीपी तैयार हुए हैं अभी हाल ही में 140 एमएलडी एसटीपी का भी उद्घाटन हुआ.
अस्सी और वरुणा की अगर हम बात करते हैं तो अस्सी में टोटल डिस्चार्ज 70 से 75 एमएलडी है. जिसे हम 50 एमएलडी फिल्टर के लिए रमना एसटीपी भेजते हैं, बाकी जो 20 से 25 एमएलडी का जो बाकी डिस्चार्ज है उसका कोई अब तक स्थाई समाधान नहीं है. यानी सीधे तौर पर लगभग 25 एमएलडी अस्सी नदी का सीवरेज सीधे गंगा में अभी जा रहा है. इसके अलावा दूसरा ड्रेनेज नक्खा नाला सामने घाट है. उसके जरिए भी लगभग 5 से 10 एमएलडी सीवरेज का पानी सीधे गंगा में पहुंच रहा है.
विक्की कश्यप ने बताया कि वर्तमान समय में गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए 7 एसटीपी क्रियान्वित किए जा रहे हैं. जबकि एक अन्य बीएचयू में है. 7 एसटीपी से ट्रीटेड वॉटर लगभग 324 एमएलडी और 8 एमएलडी बीएचयू से ही पानी को ट्रीट करके हम गंगा तक ले जा पा रहे हैं और अस्सी और वरुणा को मिला लिया जाए तो लगभग 100 एमएलडी के आस पास अभी भी अनट्रीटेड वाटर गंगा में जा रहा है. दरअसल, इसके लिए जिम्मेदार कौन है यह तो कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन अब भी कितने प्रयासों के बाद गंगा में सीधे इतने नालो का मिलना कई सवाल जरूर खड़े करता है.