वाराणसी : हर माता-पिता को एक स्वस्थ बच्चे की आशा होती है. इसके लिए गर्भावस्था के दौरान मां का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. स्वस्थ रहने की आशा ही स्वस्थ मां और शिशु की चाह एक ‘आशा’ कार्यकर्ता ही जगाती है. एक आशा ही है जो समुदाय के अंतिम व्यक्ति के स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान रखती है और उनको बेहतर स्वास्थ्य और संतुलित व स्वस्थ आहार के लिए जागरूक करती हैं. चलिए अब बात करते हैं उन आशा कार्यकर्ताओं की जिन्होंने अपने क्षेत्र में गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम में बेहतर कार्य किया. स्वास्थ्य का परिदृश्य बदला और समुदाय को लाभ पहुंचाया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इन आशाओं को शुभकामनाएं दी गईं. साथ ही इसके लिए उन्हें मुख्य विकास अधिकारी मधुसूदन हुलगी द्वारा सम्मानित किया गया और उनकी हौसला अफजाई की गई.
नवजात शिशु स्वास्थ्य देखभाल में निभाती हैं अहम भूमिका
बेहतर योगदान के लिए दो आशा कार्यकर्ताओं को किया गया पुरस्कृत - वाराणसी खबर
जिले की दो आशा कार्यकर्ताओं ने गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम में बेहतर कार्य किया है. स्वास्थ्य का परिदृश्य बदला और समुदाय को लाभ पहुंचाया. जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर इन आशाओं को शुभकामनाएं दी गईं. साथ ही इसके लिए उन्हें मुख्य विकास अधिकारी मधुसूदन हुलगी द्वारा सम्मानित किया गया और उनकी हौसला अफजाई की गई.
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बता दें कि पहली आशा कार्यकर्ता हैं मुन्नी तिवारी जो सेवापुरी ब्लॉक के छतेरी मानापुरी क्षेत्र में तैनात हैं. मुन्नी बताती हैं कि दो माह पहले उनके क्षेत्र में एक कम वजन का बच्चा जन्मा. जिसका वजन 2600 ग्राम था. नवजात को हाईपोथर्मिया और कराहना की समस्या थी. इस दौरान आशा मुन्नी ने नवजात के घर वापस आने पर विजिट की. लगातार चार घंटे तक थोड़े अंतराल पर कंगारू मदर केयर विधि से हाईपोथर्मिया की समस्या दूर कराई. इसके बाद बच्चे का तापमान सामान्य हुआ और कराहना भी बंद हो गया. नवजात घर पर ही इलाज से स्वस्थ हो गया. इसी क्रम में दूसरी आशा कार्यकर्ता हैं रीता देवी, जो सेवापुरी ब्लॉक के नवहानीपुर क्षेत्र में तैनात हैं. वह बताती हैं कि करीब चार माह पहले एक कम वजन के बच्चे का जन्म हुआ जिसका वजन दो किलोग्राम था. नवजात को आंख में मवाद और स्तनपान में कमी की समस्या थी. इसके पश्चात आशा रीता ने घर पर विजिट की और मां मातुरी को पर्याप्त स्तनपान के लिए पोजीशन और अटेचमेंट सही कराया. बच्चे की आंख की सफाई की और नियमित दवा लगाई. इससे नवजात का स्वास्थ्य ठीक हो गया और वह पूरी तरह स्वस्थ होकर नियमित स्तनपान भी करने लगा.
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'आशा' हैं तो स्वस्थ हैं जच्चा-बच्चा
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके मौर्य का कहना है कि नवजात शिशु की घर पर ही स्वास्थ्य देखभाल और मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के उदेश्य से गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. प्रत्येक आशा कार्यकर्ता गृह आधारित भ्रमण प्रत्येक बच्चे के जन्म से 42 दिन तक 6 से 7 बार विजिट करती हैं. इसमें 2.5 किलोग्राम से कम वजन के बच्चों की निगरानी, फॉलोअप, डेंजरसाइन, रेफरल आदि सेवाएं आशा के माध्यम से की जाती हैं. विजिट के दौरान आशा स्तनपान की सलाह, सामान्य स्वास्थ्य समस्या का निवारण व परामर्श सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) स्तर से करती हैं. साथ ही स्टाफ नर्स मेंटर एवं स्टाफ नर्स द्वारा सुरक्षित प्रसव, स्तनपान, कंगारू मदर केयर व परिवार कल्याण के लिए परामर्श भी देती हैं. इसके लिए प्रत्येक आशा को 6-7 मॉड्यूल का प्रशिक्षण दिया जाता है.