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विवादों से टूट रही काशीराज परिवार की परंपराएं, अब नहीं लगता राज शाही दरबार, पढ़िए डिटेल - कुंवर अनंत नारायण सिंह

वाराणसी के राजशाही काशीराज परिवार में चल रहा संपत्ति का विवाद (varanasi kashiraj family property dispute) खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इसके कारण कई परंपराओं का निर्वहन भी नहीं हो पा रहा है.

विवादों से टूट रही काशीराज परिवार की परंपराएं
विवादों से टूट रही काशीराज परिवार की परंपराएं

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Published : Jun 30, 2023, 5:33 PM IST

वाराणसी : वाराणसी के राजशाही काशीराज परिवार में भाई कुंवर अनंत नारायण सिंह और तीन बहनें कृष्ण प्रिय, हरी प्रिया और विष्णु प्रिया के बीच प्रॉपर्टी का विवाद चल रहा है. यह विवाद अब दूसरे रूप में आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है. रविवार को रामनगर के राजशाही किले में अनंत नारायण सिंह ने अपने हिस्से में चोरी की बात कही थी. इसके बाद रामनगर किले के सुरक्षा अधिकारी की तहरीर पर 2 राजकुमारियों समेत उनके बेटों पर चोरी की एफआईआर दर्ज की गई.

2005 से चल रहा विवाद :2005 से प्रॉपर्टी का विवाद चल रहा है. इस विवाद ने काशी की उन परंपराओं को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है जिसके लिए काशीराज परिवार जाना जाता रहा है. बहन-भाइयों के बीच चल रहे विवाद की वजह से एक के बाद एक परंपरा टूटती नजर आ रहीं हैं. दरअसल लगभग 300 साल पुराने एक गौरवशाली इतिहास को समेट कर रखने वाला काशीराज परिवार अंग्रेजी हुकूमत और उसके पहले मुगलकालीन शासनकाल में काफी चर्चित रहा है. जमींदार से बनारस स्टेट की जिम्मेदारी मिलने वाले इस परिवार के पूर्वजों ने प्रतिष्ठा और अपने कुशल नेतृत्व से सम्मान तो कमाया ही साथ ही साथ परंपराओं को सहेज कर रखने का भी काम किया.

परंपराओं का निर्वहन करता रहा है परिवार :15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ, लेकिन इसके पहले तक काशीराज परिवार की गद्दी को संभालने वाले डॉ. विभूति नारायण सिंह का एक अलग ही रुतबा हुआ करता था. आजादी के बाद भी इन्हें काशी नरेश के नाम से ही जाना जाता था. काशी की विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला हो या फिर तुलसी घाट पर तुलसीदास जी द्वारा शुरू की गई नाग नथैया या लाखों की भीड़ जुटाने वाला नाटी ईमली का भरत मिलाप, यह वह पुरानी परंपराएं हैं, जिसका निर्वहन काशीराज परिवार लंबे वक्त से करता रहा है.

संपत्ति का विवाद अब नया रूप लेने लगा है.

दशहरे पर लगता रहा राज शाही दरबार :रामनगर किले में दशहरे के मौके पर लगने वाला राज शाही दरबार और होली के त्यौहार पर काशीराज परिवार का रुतबा देखने के लिए जुटने वाली भीड़ भी अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है. होली के मौके पर राजशाही ठाठ बाट के साथ गद्दी नशीन किले से निकलकर अपनी कुलदेवी का दर्शन करने जाते थे लेकिन बहन-भाइयों के बीच शुरू हुए विवाद ने इन परंपराओं को अब धीरे-धीरे खत्म करना शुरू कर दिया है. बीते तीन-चार सालों से कुंवर अनंत नारायण सिंह ने दशहरे पर लगने वाले राज शाही दरबार को लगाना बंद कर दिया है. कुल देवी के दर्शन करने भी वह होली के मौके पर नहीं जाते हैं. उन्होंने बीते दिनों मीडिया से बातचीत करते हुए खुद स्पष्ट किया था कि बहनों के साथ चल रहे विवाद की वजह से इन परंपराओं से वह दूर हो रहे हैं और यदि यह विवाद ऐसे ही चलता रहा तो कई और परंपराएं टूटेंगी.

काशीराज परिवार का गौरवशाली इतिहास :काशीराज परिवार के इन परंपराओं को संजोकर रखने का काम एक के बाद एक गद्दी संभालने वाले करते रहे हैं. वर्तमान में इन परंपराओं को संजोकर रखने की जिम्मेदारी वर्तमान कुंवर अनंत नारायण सिंह पर है. इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सत्यपाल यादव का कहना है कि काशीराज परिवार का अपना गौरवशाली इतिहास है. यह परिवार जितना अपने इतिहास के लिए जाना जाता उससे कहीं ज्यादा उन परंपराओं के लिए जाना जाता है, जो यह काशी में निभाते आ रहे हैं.

आयोजनों से कुंवर ने बनाई दूरी :असिस्टेंट प्रोफेसर का कहना है कि जैसे दशहरे के मौके पर लगने वाला दरबार बीते कई सालों से नहीं लग रहा है. यह वह मौका होता था जब लोग अपने राजा से मुखातिब होते थे और काशी की एक परंपरा की झलक राज दरबार में देखने को मिलती थी. इसके अलावा साल में एक बार होली के मौके पर राजा परिवार में गद्दी नशीन अपनी कुलदेवी का दर्शन करने के लिए निकलते थे लेकिन यह परंपरा भी बंद हो चुकी है. इसके अतिरिक्त रामनगर की रामलीला में भी बहुत से आयोजनों में कुंवर की दूरी खटक ने लगी है.

क्या है विवाद और क्यों टूट रही परंपरा :काशीराज परिवार में पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह के सन 2000 में निधन के बाद 2005 से कुंवर अनंत नारायण सिंह और उनकी तीन बहनें विष्णु प्रिया, हरी प्रिया और कृष्णप्रिया के बीच संपत्ति का विवाद चल रहा है. 2005 में जमीन विवाद के संदर्भ में मुकदमा किए जाने के बाद से एक बहन रामनगर किले में ही रहती हैं, जबकि दो बहनें बाहर हैं, लेकिन अब पिता की संपत्ति पर वह बराबर का हक जता रही हैं, जबकि कुमार अनंत नारायण सिंह का कहना है कि पिता ने विवाह के बाद इन्हें बराबर का हिस्सा देकर अपनी जिम्मेदारी पूर्ण की थी. फिर भी विवाद बढ़ता ही जा रहा है.

राजशाही चिन्ह का गलत प्रयोग :2018 में कुंवर अनंतनारायण में राजशाही चिन्ह का प्रयोग गलत तरीके से करने के एवज में बहन हरी प्रिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था. 2019 में भी बहनों ने भाई के खिलाफ धोखे से जमीन बेचने का आरोप लगाकर तहरीर दी थी. हालांकि एफआईआर नहीं हुई थी 2021 में भी एक जमीन के बेचे जाने के मामले में तहरीर दी गई थी. जिस पर जांच के बाद मुकदमा जारी है. एक के बाद एक नए मुकदमों के बीच पिछले रविवार को रामनगर किले के सुरक्षा अधिकारी ने कुमार अनंत नारायण सिंह के कमरे से तमाम सामान चोरी होने का आरोप लगाते हुए राजकुमारी कृष्ण प्रिया और हरी प्रिया समेत उनके बेटों के खिलाफ चोरी का मुकदमा दर्ज करवाया. इसके बाद से इस विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है.

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