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150 साल पुरानी इस मिठाई की दुकान से जंग-ए-आजादी की कहानी होती है बयां...

वाराणसी भी देश की आजादी के लिए छिड़े स्वतंत्रता संग्राम का गवाह रह चुका है. शहर में स्थित करीब डेढ़ सौ साल पुरानी मिठाई की दुकान क्रांतिकारियों के समय से ही प्रसिद्ध रही है. यहां की बनी मिठाईयां आज भी लोग बड़े चाव से खरीदते हैं.

वाराणसी की तिरंगी बर्फी.
वाराणसी की तिरंगी बर्फी.

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Published : Aug 14, 2020, 3:37 PM IST

वाराणसी:शहर के ठठेरी बाजार की तिरंगी बर्फी का अपने आप में ही पुराना इतिहास रहा है. यहां मौजूद लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी एक मिठाई की दुकान है, जहां की मिठाईयों को स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा गया है. देखिए ये रिपोर्ट...

दरअसल वाराणसी का ठठेरी बाजार शहर के पुराने इलाके में स्थित है. इस इलाके में मौजूद श्री राम भंडार नामक लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी मिठाई की दुकान है. इसकी स्थापना रघुनाथ दास गुप्ता ने की थी. बाद में इस दुकान को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ प्रयोग किया जाने लगा.

स्पेशल रिपोर्ट.

1942 में आजादी की लड़ाई के चरम पर इस दुकान से ऐसी मिठाईयों को तैयार किया गया, जिसने तब से लेकर अब तक लोगों के अंदर देशभक्ति का जज्बा जगाए रखा है. उस समय मशहूर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों व क्रांतिकारियों के नाम पर मिठाईयां बनानी शुरू हुई, जिसमें तिरंगी बर्फी, जवाहर लड्डू, गांधी गौरव, बल्लभ संदेश नाम की मिठाईयां प्रसिद्ध रहीं.

इन मिठाइयों ने लोगों के बीच आजादी की लड़ाई के संदेश को पहुंचाया. साथ ही महान क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की गौरव गाथा भी लोगों तक पहुंचने लगी. इसके बाद यह लड़ाई जारी रही और जब देश आजाद हुआ तो इन मिठाइयों के साथ ही लोगों ने जश्न मनाया. शनिवार को भारत अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है और समय के साथ साथ इन मिठाइयों का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है.

वर्तमान समय में इस दुकान को संचालित करने वाले वरुण गुप्ता का कहना है कि पूर्वजों के किए गए संघर्ष को आज भी लोगों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. तिरंगी बर्फी पहले सिर्फ काजू पिस्ता और बादाम के साथ तैयार होती थी, लेकिन अब इसमें खोए का मिश्रण भी किया जाता है. आज भी इस मिठाई का स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस जैसे पर्व पर विशेष महत्व होता है. लोग भारी मात्रा में इन मिठाइयों को खरीदते हैं और अपनों में बांटकर देश की आजादी के जश्न में शरीक होते हैं.

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