वाराणसीः काशी को यूं ही धर्म, संस्कृति, अध्यात्म की नगरी नहीं कहते हैं. काशी का कण-कण यहां की संस्कृति, संगीत कला की गवाही देता है. यह वही शहर है, जहां पर पंडित राजन-साजन, पंडित छन्नूलाल मिश्र, बिस्मिल्ला खां, गिरिजा देवी जैसे महान संगीतज्ञ पैदा हुए. काशी उनकी जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों है. यहां की हर गली आपको एक अलग सभ्यता, संगीत की पहचान कराती है. ऐसे ही जेपी मेहता इंटर कॉलेज के पास बने एक अपार्टमेंट के फ्लैट में तीन कमरों में अलग-अलग संगीत का स्टूडियो बना हुआ है.
पहला कमरा
वाराणसी के जेपी मेहता इंटर कॉलेज के पास एक अपार्टमेंट में ईटीवी भारत की टीम पहुंची. यहां एक घर में तीन स्टूडियो देखने को मिला. इस घर के एक कमरे में भारतीय संगीत की झलक देखने को मिली. यहां भारतीय संगीत के वादयंत्रों को रखे गए हैं, जिससे लोग रियाज करते हैं.
दूसरा कमरा
वहीं घर के आंगन को वेस्टर्न म्यूजिक का स्टूडियो बनाकर रखा गया है, जहां पर वेस्टर्न म्यूजिक का रियाज़ किया जाता है. इसके साथ ही साथ उसके यंत्रों को भी रखा गया है. भारतीय संगीत के साथ वेस्टर्न म्यूजिक का यह संगम अद्भुत है.
तीसरा कमरा
वहीं सबसे खूबसूरत तीसरे कमरे का स्टूडियो, जिसमें कराओके गाने की व्यवस्था की गई है. कराओके के मदद से गाने की लिरिक्स को पढ़ कर संगीत को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करने का रियाज किया जाता है. घर के मुखिया अजय सिंह पत्नी के साथ कराओके गाने का रियाज करते हैं.