वाराणसी:धर्म अध्यात्म और संस्कृति की नगरी काशी में वैदिक परंपरा को एक बार फिर जीवंत रखने की पहल की जा रही है. इसके लिए काशी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शास्त्रार्थ का आयोजन किया गया है. इस आयोजन में देश-विदेश के विद्वान विभिन्न विषयों पर एक दूसरे से वैदिक काल के अनुसार शास्त्रार्थ कर रहे हैं.आयोजन में व्याकरण, न्याय, ज्योतिष आदि विषयों पर शास्त्रार्थ किया जा रहा है.
काशी में प्राचीन संस्कृति को किया जा रहा जीवंत, भारत समेत 4 देशों से जुटे विद्वान - sampoornanand sanskrit university
काशी में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शास्त्रार्थ का आयोजन किया गया है. कार्यक्रम में नेपाल, भूटान, श्रीलंका समेत कई देशों के विद्वान शामिल हुए है. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्राचीन विद्या के साथ आधुनिक विद्या का समावेश करके कैसे भारत को आगे बढ़ाना है.
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शास्त्रार्थ का आयोजन
- संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजन हो रहा है.
- आयोजन में नेपाल, भूटान, श्रीलंका समेत कई देशों के विद्वान कार्यक्रम में शामिल हुए है.
- आयोजन में व्याकरण, न्याय, ज्योतिष आदि विषयों पर शास्त्रार्थ किया जा रहा है.
- व्याख्या सभा के साथ-साथ तीन दिवसीय संगोष्ठी संस्कृत वादन और मित्रविंदा भी आयोजन किया जा रहा है.
- प्राचीन विद्या के साथ आधुनिक विद्या का समावेश करके कैसे भारत को आगे बढ़ाया जाए इस पर परिचर्चा की जा रही है.
वैदिक काल से ऋषि मुनियों की गुरुकुल परंपरा के अनुरूप छात्रों के बीच शास्त्रार्थ परंपरा होती थी, जो आधुनिक काल में धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है. उसी परंपरा को जीवित करने के लिए इस यात्रा का आयोजन किया गया है. आज कई ऐसे विषय हैं जिस के प्रचार प्रसार में करोड़ों का खर्च हो रहा है जैसे स्वच्छता अभियान, जबकि प्राचीन विद्या में बाल काल से ही सिखाया जाता है. स्वच्छता रखना है. खाने से पहले हाथ पैर धोने हैं. भारतीय संस्कृति पूर्णरूपेण जीवित हो जाए इसलिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
डॉ. दिव्य चैतन्य ब्रम्हचारी, अध्यापक