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नेताजी की जयंती पर तीन दिवसीय सुभाष महोत्सव शुरू

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Published : Jan 23, 2021, 2:10 AM IST

यूपी के वाराणसी में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर तीन दिवसीय सुभाष महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर महोत्सव की शुरुआत की.

वाराणसी में सुभाष महोत्सव.
वाराणसी में सुभाष महोत्सव.

वाराणसीः भारत की आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर विशाल भारत संस्थान की ओर से वाराणसी के सुभाष भवन में तीन दिवसीय सुभाष महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. लमही स्थित सुभाष भवन में महोत्सव के पहले दिन शुक्रवार को सुभाष विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई. संगोष्ठी के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर महोत्सव की शुरुआत की. आजाद हिंद बटालियन की सेनापति दक्षिता भारतवंशी ने अपनी बाल टुकड़ी के साथ नेताजी सुभाष को सलामी दी और बिगुल बजाकर सुभाष महोत्सव का स्वागत किया.

नेताजी ने अंग्रेजों के विभाजन नीति के बारे में चेताया था
संगोष्ठी में पहुंचे इन्द्रेश कुमार ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस विभाजन के विरोधी थे. कांग्रेस के नेताओं को वो पहले ही अंग्रेजों की चाल से चेता चुके थे. दुनियाभर में अंग्रेजों के विरूद्ध न सिर्फ मोर्चा खोला बल्कि उन्हें कूटनीतिक स्तर पर भी घेरा. द्वितीय विश्व युद्ध का समय अखंड भारत की आजादी का उपयुक्त समय था. अगर कांग्रेस के नेता सुभाष चंद्र बोस का साथ दिये होते तो देश भी आजाद हो जाता और विभाजन भी न होता. देश के बंटवारे की त्रासदी आज तक पूरा भारत झेल रहा है. बांग्लादेश और पाकिस्तान भारत से अलग होने के बाद आज तक संभल नहीं पाये. सुभाष की योजनाओं को माना गया होता तो देश इतनी समस्याओं से नहीं जूझता. सुभाष चंद्र बोस के इतिहास का शोधकर्ता, बुद्धिजीवी फिर से मूल्यांकन करें और देशहित में जन-जन तक पहुंचाएं.

बाल संसद की स्पीकर खुशी को किया सम्मानित
विश्व की पहली निर्वाचित बाल संसद की स्पीकर खुशी रमन भारतवंशी को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण पुरस्कार-2021 से सम्मानित किया गया. खुशी रमन भारतवंशी विश्व के पहली सुभाष मंदिर की पुजारी हैं. खुशी प्रतिदिन सुभाष मंदिर में भारत माता की प्रार्थना और आजाद हिन्द सरकार का राष्ट्रगान कराकर भारतीयों के बीच देशभक्ति की भावना विकसित करती हैं. खुशी जीजीआईसी में 11वीं की छात्रा हैं और बचपन से ही सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई हैं.कोरोना संकट के दौरान खुशी रमन भारतवंशी ने 100 दिनों तक अनवरत भूख से पीड़ितों की सेवा की है. खुशी के सामाजिक कार्यों को देखते हुये विशाल भारत संस्थान ने खुशी को राष्ट्रीय परिषद में शामिल किया है. खुशी सबसे कम उम्र की परिषद की सदस्य बनी हैं.

नेताजी का इतिहास हमेशा रहेगा प्रेरणादायी
विशाल भारत संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में सुभाष चन्द्र बोस का नाम अंकित होना चाहिये. क्योंकि दुनिया के 10 देशों ने आजाद हिन्द सरकार को मान्यता दी थी और इस सरकार के मुखिया सुभाष चन्द्र बोस ने देश को आजाद कराने के लिये अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध छेड़ा. सुभाष का इतिहास विश्व की मानवता के लिये हमेशा प्रेरणादायी बना रहेगा.

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