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लॉर्ड विश्वेश्वर मामले के पक्षकार को पाकिस्तान से मिली जान से मारने की धमकी - Gyanvapi Shringar Gauri Case

लॉर्ड विश्वेश्वर मामले (lord Vishweshwara Case) में पक्षकार हरिहर पांडेय को जान से मारने की धमकी दी गई है. उन्होंने बताया कि उन्हें पाकिस्तान के नंबर से कॉल आई थी.

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पक्षकार हरिहर पांडेय

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Published : Aug 25, 2022, 9:09 PM IST

वाराणसी: प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ (lord vishweshwara case) की ओर से अदालत में मुकदमा दायर करने वाले वाराणसी के औरंगाबाद निवासी हरिहर पांडेय (litigant Harihar Pandey of lord vishweshwar) को परिवार सहित जान से मारने की धमकी दी गई है. हरिहर पांडेय के अनुसार उनके मोबाइल पर पाकिस्तान के नंबर +923211160599 से कॉल आई थी. उन्हें कटे हुए सिर का फोटो भी भेजा गया था. हरिहर पांडेय की तहरीर के आधार पर लक्सा थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. इसके पहले भी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में पैरोकार डॉ. सोहनलाल आर्या को भी पाकिस्तान से सिर धड़ से अलग करने की धमकी मिल चुकी है.

हरिहर पांडेय ने पुलिस को बताया कि 24 अगस्त को उनके मोबाइल पर कॉल आई. कॉल करने वाले ने ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में बात करते हुए कहा कि तुम्हारा ही नहीं पूरे परिवार का काम तमाम जल्द करूंगा. इसके बाद कॉल कट गई. इसी बीच फोन पर कटे हुए सिर की फोटो भी आई. तहरीर पर संबंधित मोबाइल नंबर के आधार पर लक्सा थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. लक्सा थानाध्यक्ष अनिल कुमार साहू ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है.

हरिहर पांडेय ने बताया कि 8 अप्रैल 2021 को वाराणसी की सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण (Gyanvapi Complex Archaeological Survey) का आदेश दिया था. उसी दिन देर शाम उनके मोबाइल पर एक कॉल आई थी. फोन करने वाले ने खुद को दालमंडी निवासी यासीन बताया था. उसका कहना था कि पांडेय जी मुकदमें में आपने आदेश तो करा लिया है. लेकिन एएसआई वाले ज्ञानवापी में घुस नहीं पाएंगे. आप और आपके सहयोगी मारे जाएंगे. 9 अप्रैल को उन्होंने इस धमकी की शिकायत पुलिस से की. जिसके बाद उन्हें सरकारी सुरक्षा मुहैया कराई गई थी. हालांकि अब पुलिस ने सरकारी सुरक्षा भी हटा ली है. इस वजह से वह खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं.

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हरिहर पांडेय ने बताया कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विशेश्वरनाथ की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और उन्होंने बतौर वादी वर्ष 1991 में सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था. अदालत में मुकदमा दायर होने के कुछ वर्ष बाद पंडित सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा की मौत हो गई थी. अब वही इस मुकदमे के पक्षकार के तौर पर बचे हुए हैं.

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