वाराणसी: कहते हैं शिक्षक समाज का सबसे मजबूत स्तंभ है, क्योंकि अपने छात्रों के भविष्य को संवारने के साथ देश के भविष्य के लिए भी शिक्षक अपनी पूरी जी जान लगा देता है, लेकिन इन दिनों शिक्षक कुछ नाराज हैं. नाराजगी इस बात की कि उन्हें लगातार शैक्षणिक कार्यों से विरत कर गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जा रहा है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश में इन दिनों हर घर तिरंगा अभियान को लेकर तैयारी जोर शोर से चल रही है. 11 अगस्त से 17 अगस्त तक प्रदेश सरकार के इस आयोजन में पूरे प्रदेश में बड़ी संख्या में हर घर पर तिरंगा फहराना है, जिसे लेकर हर विभाग को तिरंगे घर-घर पहुंचाने का टारगेट दिया जा रहा है. इसके चलते वाराणसी में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से बकायदा एक चिट्ठी जारी कर सभी ब्लॉक को टारगेट निर्धारित किया गया है.
हर ब्लॉक को लगभग 11000 तिरंगे खरीदने का लक्ष्य दिया गया है, जिसके लिए 40 रुपये की दर से 440000 की धनराशि निर्धारित खाता संख्या में जमा करने का भी आदेश दिया गया है, जिससे शिक्षिकों में हड़कंप मच गया. हालांकि शिक्षा विभाग ने पहले ऐसे किसी भी आदेश से इनकार किया था. लेकिन ईटीवी भारत की जांच पड़ताल के बाद उन्होंने मान लिया की आदेश वापस भी हुआ है. शिक्षक इस टारगेट से परेशान हैं, उनका कहना है पहले प्रति शिक्षक 16 झंडे 40 की दर से खरीदने का लिखित आदेश था. अब भले ही अब आदेश वापस लेने की अधिकारी बात कर रहे हैं. लेकिन अब भी शिक्षक झंडे खरीदने के लिए 600 रुपये प्रति शिक्षक वसूले गए हैं.
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लगातार शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने को लेकर शिक्षक संघ और शिक्षक एकजुट हो रहे हैं. उनका कहना है कि वाराणसी में बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा मनमाने तरीके से कार्य किया जा रहा है. कभी वीआईपी ड्यूटी तो कभी मंत्री की अगवानी और कभी किसी अन्य सरकारी काम में शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती है. हमेशा चुनाव से लेकर पोलियो अभियान में शिक्षक अपना योगदान देते हैं, लेकिन हर घर तिरंगा यात्रा के नाम पर शिक्षकों से धन उगाही ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि शिक्षक कहां से पैसा लाएंगे और क्यों भरेंगे कोई यदि पैसे का भुगतान नहीं करता है, तो उनके जगह पर शिक्षक टारगेट को पूरा करेंगे जोर जबरदस्ती से नहीं बल्कि सहभागिता से कार्य किया जाना चाहिए.