वाराणसी: जैतपुरा की रहने वाली शबीना असामान्य थकान, गिरते वजन और मिचली आने से परेशान थी. इन परेशानियों को वह यह समझकर नजरअंदाज करती रही कि यह सब उसके गर्भवती होने की वजह से हो सकता है. जब उसकी हालत तेजी से बिगड़ने लगी तो उसने जिला महिला अस्पताल में उपचार शुरू कराया. जांच हुई तो पता चला कि उसे टीबी की बीमारी ने जकड़ रखा है.
कुछ ऐसी ही स्थिति सेनपुरा की पारुल विश्वकर्मा के साथ हुई. चार माह की गर्भवती पारुल लगातार खांसी आने और तेजी से गिरते वजन से परेशान रही. जांच हुई तो पता चला कि गर्भवती होने के बाद उसे भी टीबी हो चुका है. यह परेशानी सिर्फ शबीना और पारुल की ही नहीं, उनके जैसी अन्य महिलाओं की भी है, जो गर्भवती होने के साथ-साथ टीबी रोग से भी पीड़ित होती हैं.
गर्भपात की आशंका के साथ ही गर्भवती की जान को भी रहता है खतरा
जिला महिला चिकित्सालय के स्त्री व प्रसूति रोग चिकित्सक डॉ. मधुलिका पांडेय कहती हैं कि टीबी और गर्भवस्था के दौरान होने वाली परेशानियों के कुछ लक्षण काफी मिलते-जुलते होते हैं. मसलन गर्भ ठहरने के बाद गर्भवती ने यदि पोषक आहारों पर ध्यान नहीं दिया तो उसका वजन कम होने लगता है. यह स्थिति टीबी की बीमारी होने पर भी होती है. इस रोग से ग्रसित होने पर रोगी कमजोर होने लगता है. आमतौर पर गर्भवती को असमान्य थकान की भी परेशानी होती है. ऐसी परेशानी टीबी रोगी को भी होती है. गर्भावस्था में गिरते वजन, थकान, कमजोरी जैसे लक्षणों के साथ ही तेज बुखार, खांसी को मौसमी बीमारी मानकर गर्भवती महिलाएं इसे नजरअंदाज करने की कोशिश करती हैं. जबकि, यह परेशानी उन्हें गर्भावस्था के दौरान हुए टीबी रोग की वजह से भी हो सकती है.