वाराणसी:तमिल और हिंदी को जोड़ने के लिए काशी में तमिल कार्तिकेय महापर्व का आयोजन किया गया है. इस महापर्व में तमिल और काशी के दिग्गजों का जुटान होगा. जहां दोनों की प्रांतों के संबंधों को एकाकार किया जाएगा.बड़ी बात यह है कि इस समारोह में एक खास मोबाइल लाइब्रेरी बैन भी मौजूद है, जो काशी और तमिल के ऐतिहासिक संबंधों के ऊपर से पर्दा हटाएगी. जी हां, इस वैन में काशी और तमिल के पुराने संबंधों को साहित्य के माध्यम से लोगो के समक्ष रखा जाएगा. इसमें तमिल के बड़े साहित्यकारों द्वारा काशी और तमिल के संबंधों वर्णन किया गया है. उनकी पुस्तकों को हिंदी, संस्कृत और तमिल भाषाओं में यहां रखा गया है. इसके साथ ही नई शिक्षा नीति के तहत हिंदी, संस्कृत, तमिल तीनों भाषाओं में बच्चों के लिए अन्य पुस्तकों को भी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे वो इन भाषाओं को सीख सकें.
तमिल के ऐतिहासिक संबंधों से पर्दा हटाएगी मोबाइल एक्जिबिशन, जानें कैसे
तमिल और हिंदी को जोड़ने के लिए काशी में तमिल कार्तिकेय महापर्व का आयोजन किया गया है. इस महापर्व में तमिल और काशी के दिग्गजों का जुटान होगा. जहां दोनों की प्रांतों के संबंधों को एकाकार किया जाएगा.बड़ी बात यह है कि इस समारोह में एक खास मोबाइल लाइब्रेरी बैन भी मौजूद है, जो काशी और तमिल के ऐतिहासिक संबंधों के ऊपर से पर्दा हटाएगी.
बता दें, संभावना जताई जा रही है कि इस खास मोबाइल एग्जीबिशन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया जा सकता है. 19 नवंबर को उद्घाटन के बाद यह काशी के अलग-अलग स्कूलों, कॉलेजों में जाकर के तमिल व हिंदी के साहित्यकारों और उनके द्वारा हिंदी तमिल को लेकर के किए गए योगदान के बारे में बताएगी. इसमें महात्मा गांधी, सुब्रमण्यम भारतीय, विट्ठलराव, संगम कृष्णमूर्ति, एस रामकृष्णन, सुंदर रामास्वामी, तिरुवल्लुवर, चारू निवेदिता, इंदुमती, वेदनायकम पिल्लई अन्य तमाम हिंदी तमिल साहित्यकारों द्वारा लिखी गई पुस्तकों का संग्रह उपलब्ध है. इन संग्रहों का हिंदी में भी अनुवाद है. साथ ही अंग्रेजी और संस्कृत में भी यह पुस्तकें पाठकों के लिए उपलब्ध रहेंगी.
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