वाराणसी:बारिश का मौसम समान्यतः कई सारी बीमारियों को दावत देने वाला होता है. ऐसे में यदि बच्चों की बात करें, तो उन्हें बेहद सुरक्षित रखने की जरूरत होती है. वर्तमान समय की बात कर लें, तो भले ही कोविड की रफ्तार धीमी हो गई हो, लेकिन डेंगू का प्रकोप हर दिन बढ़ता जा रहा है. ऐसे में बच्चों को सुरक्षित रखना बेहद चुनौती भरा कार्य है. बारिश के मौसम में बच्चों की परवरिश पर ध्यान देने की जरूरत है. वायरल व डेंगू से कैसे बचा जाय, इस पर ईटीवी भारत की टीम ने बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसपी. गुप्ता से बातचीत की.
बारिश के मौसम में बच्चों की ऐसे करें देखभाल, इन बीमारियों से रहिए सतर्क
यूपी के वाराणसी में पिछले कई दिनों से बारिश हो रही है. जलभराव होने के कारण लोगों पर कई तरह की बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है. इन बीमारियों से बचने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने डॉक्टरों से बातचीत की. डॉक्टरों ने बताया कि इन बीमारियों से कैसा बचा जा सकता है. नीचे खबर में जानिए उपाय...
डॉ. गुप्ता ने बताया कि बारिश के मौसम में घर के आस-पास साफ-सफाई रखने की ज्यादा जरूरत होती है. कहीं भी कूलर, गमले, नारियल के खोल, टीन के डिब्बे में पानी इकट्ठा न होने दें. इसके साथ ही बच्चों को फुल कपड़े पहनाएं. कमरे में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें. उन्होंने बताया कि वायरल में बच्चों को डिहाइड्रेशन की समस्या ज्यादा होती है. इसलिए घर में ओआरएस का पैकेट जरूर रखें, जिससे उल्टी-दस्त होने पर बच्चों को डिहाइड्रेशन होने से बचाया जा सके. उल्टी होने पर वायरस का घोल या अन्य पेय पदार्थ जैसे दाल का पानी, पतली दलिया, थोड़ी-थोड़ी मात्रा में यदि बच्चा उल्टी करता भी है तो उसे घोल पिलाएं. थोड़ा-थोड़ा ओआरएस का घोल देने से बच्चे में कमजोरी नहीं आएगी.
डॉक्टर ने बताया कि बच्चों को बुखार होने पर घरेलू उपाय करने के साथ-साथ डॉक्टर से भी सलाह लें. प्राथमिक उपचार के तौर पर पैरासिटामॉल के साथ सूती गीले कपड़े से बच्चे की पट्टी करें. इससे बच्चे का बुखार उतरेगा और उसके बाद डॉक्टर को दिखाकर दवा लें. उन्होंने बताया कि कुछ बच्चों को बुखार आने पर कभी-कभी हल्की मिर्गी भी आती हैं. ऐसी स्थिति में बच्चे की गर्दन को सीधा रखें, जिससे उसकी शरीर में जकड़न न हो और वह आराम से सो सके.
डॉ. गुप्ता ने कहा कि वर्तमान में वायरल व डेंगू के बुखार में बच्चों में प्लेटलेट्स की कमी हो सकती है. ऐसे में प्लेटलेट्स की जल्दी-जल्दी जांच कराना भी जरूरी होता है. इस दौरान अगर प्लेटलेट्स कम हो जाए तो बच्चों में प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में बच्चे को अस्पताल में भर्ती कर चिकित्सक के परामर्श के अनुसार प्लेटलेट्स चढ़वाएं व बच्चे की उचित देखभाल करें.
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