वाराणसी:गोवर्धन पूजा की जब बात आती है तो मथुरा का जिक्र सबसे पहले होता है. क्योंकि इसकी शुरूआत वहीं से हुई थी, लेकिन महादेव की नगरी काशी में भी गोवर्धन पूजा एक अलग अंदाज में मनाई जाती है. जहां पर गोवर्धन सेवा समिति के तहत यादव बंधु झांकी निकाल कर अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. लेकिन इस बार सभी त्योहारों की तरह गोवर्धन पूजा पर भी कोरोना का काला साया छाया रहा और इस बार कोरोना ने अनेक परंपराओं को तोड़ दिया, जिसमें गोवर्धन पूजा की झांकी भी शामिल रही.
काशी की इस परंपरा पर छाया कोरोना का साया - पूजा
वाराणसी में गोवर्धन पूजा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला. महादेव की नगरी काशी में भी गोवर्धन पूजा विशेष अंदाज में होती है. वहां पर गोवर्धन सेवा समिति के तहत यादव बंधु झांकी निकाल कर अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. इस बार कोरोना वायरस के चलते झांकी नहीं निकाली गई.
बता दें कि, गोवर्धन पूजा पर यादव बंधु वृहद स्वरूप में झांकी निकालते हैं. इसमें यादव बंधु अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं. इसके साथ ही साथ समाज के लोगों की सुरक्षा के लिए खुद को तत्पर बताते हैं. इस बार यादव बंधुओं ने प्रतीकात्मक रूप से भगवान गोवर्धन की पूजा कर जन कल्याण की कामना की.
यदुवंशी समाज सदैव जन कल्याण के लिए है तत्पर
ईटीवी भारत से बातचीत में शालिनी यादव ने कहा कि यादव समाज सदैव जनकल्याण के लिए तत्पर है. इसीलिए इस महामारी के दौर में हमने झांकी नहीं निकालने का फैसला लिया. क्योंकि गोवर्धन पूजा की शुरुआत ही समाज कल्याण को ध्यान में रखकर ही हुई थी. भगवान श्री कृष्ण ने लोगों की सुरक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ में उठाया था. ठीक इसी प्रकार से यदुवंशी समाज ने जन कल्याण के लिए महामारी के दौर में सरकार की गाइडलाइन का पालन करते हुए गोवर्धन पूजा मनाया, जिससे कि सभी लोग सुरक्षित रहें.
प्रतीकात्मक रूप से निभाई गई परम्परा
वहीं अशोक यादव ने बताया कि कोरोना वायरस को देखते हुए हमने प्रतीकात्मक रूप से अपनी परंपरा को निभाया. सभी यादव समाज के लोगों ने विधिवत भगवान गोवर्धन की पूजा की और उनसे जन कल्याण की कामना की. उन्होंने कहा कि यदि हम इस वर्ष झांकी नहीं निकाल पाए तो कोई बात नहीं. जनकल्याण के लिए यह जरूरी था, हम अगले वर्ष और धूमधाम से झांकी निकालेंगे.
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