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खंडहर में तब्दील हो चुका है स्वामी जी का प्रवास स्थल

पूरे देश में आज हर्षोल्लास के साथ स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जा रही है. यही नहीं, लोग उनके विचारों को आज भी आत्मसात करते हैं. लेकिन दूसरी ओर धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में स्वामी जी की यादें, खंडहर में तब्दील होती जा रही हैं. देखिए ये खास रिपोर्ट....

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Published : Jan 12, 2021, 2:09 PM IST

Updated : Jan 12, 2021, 4:41 PM IST

स्पेशल रिपोर्ट.
स्पेशल रिपोर्ट.

वाराणसी :12 जनवरी यानी मंगलवार को देश के महान दार्शनिक और विश्व में भारत के अध्यात्म का डंका बजाने वाले स्वामी विवेकानंद की जयंती है. यह दिन पूरे देश में युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. उनके विचार और जीवन हमारे लिए प्रेरणादायी हैं. विवेकानंद ने अमेरिका के शिकागो में 1893 में विश्व धर्म महासभा में देश के सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस थे. उनकी याद में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की. लेकिन क्या आप को पता है कि स्वामी जी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में कुछ समय काशी में भी बिताया था. लेकिन दुख इस बात की है कि जहां पर स्वामी विवेकानंद ने प्रवास किया था, आज वो सरकार की अनदेखी के चलते खंडहर में तब्दील हो गया है.

खंडहर बन चुका है स्वामी जी का प्रवास स्थल.

स्वामी विवेकानंद ने डेढ़ महीने काशी में किया था प्रवास

विरासत को संरक्षित रखने हेतु संघर्ष करने वाले वकील नित्यानंद राय ने बताया कि 2016 में उन लोगों के संज्ञान में आया कि अपने अंतिम दिनों में स्वामीजी डेढ़ माह तक गोपाल विला में प्रवास किए थे. तब से लेकर अब तक वो लोग गोपाल विला को एक विरासत के रूप में संजोने की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर उन्होंने डीएम से लेकर प्रधानमंत्री तक सभी को पत्रक लिखा, लेकिन अभी तक इस विरासत का संरक्षण नहीं किया जा सका. उन्होंने बताया कि हर साल वो स्वामी विवेकानंद की जयंती व पुण्यतिथि पर गोपाल विला में कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. सरकार व प्रशासन से यह मांग भी करते हैं कि देश की विरासत को पुरातत्व के हाथ सौंप दिया जाए, जिससे बाकी धरोहरों के साथ इसका भी संरक्षण हो सके, वरना यह विरासत हम खो देंगे.

खंडहर बन चुका है स्वामी जी का प्रवास स्थल.

बन गया है जुआरियों का अड्डा

वकील नित्यानंद राय ने बताया कि आम दिनों में गोपाल विला जुआरी और पशुओं का डेरा बना रहता है. यहां पर नशा करने वाले, जुआ खेलने वाले लोग जमा होते हैं और इस विरासत का अपमान करते हैं. यदि समय रहते इस विरासत को संजोया नहीं गया तो वह दिन दूर नहीं जब यह विरासत ढह जाएगी. स्वामी जी की यादें भी इसी के साथ समाप्त हो जाएंगी.

खंडहर बन चुका है स्वामी जी का प्रवास स्थल.

कोरम पूर्ति के लिए लगवाया गया है शिलापट्ट

वकील नित्यानंद राय का कहना है कि यह विरासत सरकार की उदासीनता की शिकार हो रही है. उन्होंने कई बार इसको लेकर विधायक व अन्य शासन स्तर के लोगों को पत्र लिखा, लेकिन कोई भी इसको संज्ञान में नहीं ले रहा. बीते कुछ दिन पहले यहां पर समाजवादी पार्टी के दो नेता आए थे, जिसके बाद वर्तमान में इस क्षेत्र के विधायक ने पार्टी हित को ध्यान में रखते हुए यहां पर शिलापट्ट लगवा दिया. उन्हें लगा कि कहीं विपक्षी पार्टी इस मौके को भुना न ले, इस वजह से यहां पर शिलापट्ट लगा दिया गया. लेकिन उनका कहना है कि वो इससे संतुष्ट नहीं हैं. वो चाहते हैं कि यहां पर स्वामी जी की यादों को संरक्षित रखा जाए. उसको एक भव्य स्वरूप दिया जाए. क्योंकि स्वामी जी यहां डेढ़ माह तक प्रवास किए थे. उन्होंने कहा कि जब स्वामी जी एक दिन कन्याकुमारी में रुके थे और उस स्थान को एक बड़ा टूरिस्ट प्लेस बना दिया गया. वहीं स्वामी जी यहां डेढ़ माह स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रवास किए थे. उस लिहाज से इस स्थान को भव्य बनाया जाना चाहिए. उनका कहना है कि जब तक स्वामी जी के विरासत का संरक्षण नहीं किया जाएगा, तब तक वे लोग ऐसे ही संघर्ष करते रहेंगे.

खंडहर बन चुका है स्वामी जी का प्रवास स्थल.

यहां बनने वाला था हज हाउस, विरोध पर हुआ कैंसिल

बता दें कि समाजवादी पार्टी की सरकार में आजम खान द्वारा पूरे परिसर में हज हाउस बनाने की योजना थी. लेकिन आमजन के विरोध के बाद प्रस्ताव को कैंसिल कर दिया गया. इसके बाद यहां पर पुलिस थाना बनाने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसका यहां के लोग विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि यह स्वामी विवेकानंद का परिसर है, यहां पर उनके नाम अस्पताल, कॉलेज व संग्रहालय बनाना चाहिए, यहां पर थाने का कोई औचित्य नहीं हैं.

वाकई यह गौर करने वाली बात है कि स्वामी विवेकानंद ने अपना पूरा जीवन देश सेवा में लगा दी. उनके दिए संदेशों को आज भी पूरा देश आत्मसात करता है. साथ ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी विरासत को भी संरक्षित किया जा रहा है. अब सवाल ये है कि धार्मिक नगरी काशी में स्वामी जी से जुड़ी धरोहर की अनदेखी कहां तक उचित है.

Last Updated : Jan 12, 2021, 4:41 PM IST

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