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स्वामी विश्वात्मानंद बोले, मंदिरों के पास की जमीन एक्वायर करे सरकार, ताकि ना हो मंदिर-मस्जिद विवाद - वाराणसी में संस्कृति संसद

Varanasi Culture Parliament : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है. इसमें देश भर के पीठाधीश्वर संत और शंकराचार्य शामिल हुए हैं. जम्मू कश्मीर के अटल अखाड़ा पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद से ईटीवी भारत संवाददाता ने खास बातचीत की. पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 4, 2023, 2:49 PM IST

Updated : Nov 4, 2023, 7:38 PM IST

जम्मू कश्मीर के अटल अखाड़ा पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद ने ईटीवी संवाददाता से खास बातचीत की.

वाराणसी: धर्म नगरी वाराणसी में तीन नवंबर से संस्कृति संसद का आयोजन शुरू हुआ है. पांच नवंबर तक चलने वाले इस आयोजन में देश भर के पीठाधीश्वर संत और शंकराचार्य के अलावा कई लोगों शामिल हुए हैं. इस कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर के अटल अखाड़ा से जुड़े पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती भी पहुंचे हैं. जम्मू कश्मीर के हालात पर उनसे बातचीत करने पर उन्होंने सनातन धर्म पर हो रहे प्रहार और बयानबाजी पर खुलकर अपनी बातें रखीं.

उनका कहना था कि हमारी संस्कृति को नष्ट करने का जो कुचक्र रचा जा रहा है, वह उचित नहीं है. उन्होंने बनारस ज्ञानवापी परिसर में चल रहे विवाद को लेकर सरकार से यह अपील की है कि हर मंदिर के आधा किलोमीटर के दायरे को एक्वायर करके वह जगह मंदिरों के नाम की जानी चाहिए, ताकि आने वाले भविष्य में ऐसा कोई विवाद फिर से पैदा ना हो सके.

क्या है सनातन धर्मःविश्वात्मानंद सरस्वती अटल अखाड़ा जम्मू कश्मीर पीठाधीश्वर का कहना है कि यह बहुत अच्छी बात हुई है कि अखाड़ा परिषद, गंगा महासभा और संत समिति की तरफ से इस तरह का आयोजन काशी में किया जा रहा है, क्योंकि मैं एक बार श्रीनगर में था तो उस वक्त मुझे लोगों ने पूछा कि सनातन धर्म एक कल्पना है. इस पर मैं बता दूं कि जो इतना बड़ा सनातन धर्म है, वह कल्पना कैसे हो सकती है. क्योंकि, जितने भी धर्म हैं, उनकी एक लाइफ है. उनकी एक डेट है कि वह इस कालखण्ड में रहा है.

हर धर्म का होता है कालखंडःकोई 300 साल से तो कोई 500 साल से कोई 1000 साल से तो कोई 1200 साल पुराना है, लेकिन सनातन को खराब वही लोग कहते हैं जिनका एक काल है. जिसका कोई काल ही नहीं है वह कब से चला है उसे लोग काल्पनिक कह रहे हैं. इन सभी ने यह विचार देकर आज हिंदू सनातन जो लोग हैं उन्हें लोगों ने मिस गाइड किया है. सबसे बड़ी बात यह है कि आज तक लोगों को पता ही नहीं चला कि उन्हें मिस गाइड किया जा रहा है.

स्वामी जी ने कहा कि एक देश को अगर नष्ट करना हो तो उस देश की संस्कृति और भाषा को आप खत्म कर दो. वह देश अपने आप को भूलने लगता है कि हम किस देश के लोग हैं और दूसरे देश की संस्कृति दूसरे देश की भाषा उनके ऊपर थोप दी जाती है. देश अपने आप बदलने लगता है. इतने देश ऐसे हैं जो इस प्रकार की चीजों से प्रभावित हुए और आज के समय में इन देशों के लोगों की जो परंपरा और संस्कृति और नाम था मजहब था वह बदल गया.

कई देशों के नाम और मजहब बदल दिए गएःबहुत से देश हैं जिनका नाम और मजहब सब बदल दिया गया. इसलिए भारत को भी इसी प्रकार से नष्ट करने की एक पॉलिसी एक संप्रदाय एक एनजीओ या किसी कंट्री की नहीं है, अनगिनत लोग ऐसे हैं जिनको भारत को देखकर दुख होता है कि भारत महान कैसे है. भारत इतना विस्तृत कैसे है, इसलिए सभी इकट्ठे होकर बनारस में संस्कृत संसद में शामिल हो रहे हैं. हम सभी देश की संस्कृति को नष्ट करने वालों और जो इस पर प्रहार कर रहे हैं उसे लेकर लोगों को जागृत करने का काम हम सभी कर रहे हैं.

स्वामी जी ने कहा कि हमारे बहुत से मठ स्कूल हैं, बहुत से इंस्टीट्यूशंस है. लोग कहते हैं 25 दिसंबर आ गया क्रिसमस है. लोग हमसे अनुमति मांगते हैं सांता क्लॉज बनने की, मैं उनको मना करता हूं. एक महात्मा की संस्था जो धार्मिक सनातनी ट्रस्ट है. उसमें लोग फॉरनर वह भी दूसरे की संस्कृति अपनाना चाहते हैं. मैं ऐसे लोगों का साथ कभी नहीं देता हूं.

धर्म परिवर्तन से देश बर्बाद हो रहाःहमारी संस्कृति सनातनी है. जिस देश में रह रहे हो उसे देश का प्रोग्राम होना चाहिए. हमें यह देखना चाहिए कि कितने एनजीओ और कितने ऐसे मजहब हैं, जो मीठी छूरी से भ्रमित करके लोगों को भटकाकर अपनी तरफ करने का काम कर रहे हैं, लोगों को यह बात समझना पड़ेगा कि सनातन धर्म में रहने वाले लोगों को भड़काया और भटकाया जा रहा है. लोगों को धर्म परिवर्तन करवाने का काम करते हुए हमारे देश को बर्बाद करने का काम किया जा रहा है. इस वजह से बनारस का यह कार्यक्रम बेहद महत्वपूर्ण है.

अयोध्या अब वाकई में अयोध्या बन गईःउन्होंने कहा कि यहां अलग-अलग विषयों पर चर्चा आगे बढ़ाई जा रही है. रामलला के मंदिर की स्थापना को लेकर अनेक देश ललाइत हैं, क्योंकि इतना प्रचार प्रसार हो गया है. अयोध्या अब वाकई में अयोध्या बन गई है. सिर्फ एक देश नहीं बल्कि बहुत देश यहां आना चाह रहे हैं कि हमें भी निमंत्रण मिलना चाहिए. स्वामी विश्वात्मानंद ने कहा कि हम अपने आश्रम में कम ही रह पाते हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी तक पैदल यात्रा की है.

मंदिर-मस्जिद विवाद सिर्फ शांति भंग करने का कामःकई महात्माओं के साथ 35 साल तक हम गांव में रहे हैं. हमने बहुत से मुसलमान से बातचीत की है. उनका यह कहना है कि अयोध्या, काशी और मथुरा में मस्जिद को लेकर जो भी गलत चीज चल रही है, वह सब सिर्फ शरारत के लिए किया गया काम है. यह शांति भंग करने का काम है. पहले के समय में कुछ नालायक राजा थे, जिन्होंने अशांति फैलाने के लिए अपना राज्य चलाने के लिए लोगों को भड़काने का काम किया.

कैसे कायम रहेगी शांति व्यवस्थाःमेरा मानना है कि आधा किलोमीटर के अंदर जो भी मंदिर हैं सबसे पहले उन जगहों पर जगह लेकर मंदिर के नाम उसको करना चाहिए. यह काशी विश्वनाथ अयोध्या और मथुरा पहले चार कमरे में नहीं थे बहुत बड़े स्तर पर और पैमाने पर यह बनाए जाते थे, आने वाले समय में मंदिरों से आधा किलोमीटर की जगह को एक्वायर करके इस मंदिर के नाम करना चाहिए, ताकि शांति व्यवस्था कायम रहे.

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Last Updated : Nov 4, 2023, 7:38 PM IST

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