वाराणसी:इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुए फीस वृद्धि के संबंध में काशी के विद्यार्थी भी अब लामबंद हो गए हैं. एक ओर जहां प्रयागनगरी में विद्यार्थियों के द्वारा आमरण अनशन किया जा रहा है, तो दूसरी ओर धर्म नगरी काशी में अलग-अलग विश्वविद्यालयों के छात्र नेताओं ने पीएमओ कार्यालय पर जाकर सरकार से गुहार लगाई है. दरअसल बीते दिनों इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीएससी, बीकॉम, एमएससी, एमकॉम, एलएलबी, एलएलएम लगायत कई कोर्सेज की लगभग 12000 सीटों पर 400 फीसदी से ज्यादा की फीस में बढ़ोतरी की गई है, जिसके बाद से छात्रों में खासा रोष है.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की तर्ज पर बनारस में छात्रों ने फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन - इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुए फीस वृद्धि
वाराणसी में अलग-अलग विश्वविद्यालयों के छात्र नेताओं ने फीस वृद्धि के खिलाफ पीएमओ कार्यालय पर जाकर प्रदर्शन किया. साथ ही सरकार से गुहार लगाई है.
![इलाहाबाद विश्वविद्यालय की तर्ज पर बनारस में छात्रों ने फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन etv bharat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-16463508-thumbnail-3x2-image.jpg)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की आग पहुंची बनारस, छात्र हुए लामबंद
इसी कड़ी में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों के समर्थन में शनिवार को बनारस के बीएचयू, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संस्कृत विश्वविद्यालय और यूपी कॉलेज के छात्र नेताओं ने पीएमओ कार्यालय पर जाकर सरकार से गुहार लगाई. इस दौरान छात्र नेता पीएमओ कार्यालय में प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने वाले थे, हालांकि मौके पर छात्रों को प्रशासन ने रोक दिया और एसीपी के जरिए उनके ज्ञापन को स्वीकार कर लिया गया.
यह भी पढ़ें- India vs Bangladesh Cricket Match: इंडिया ने 118 रन का दिया टारगेट
सरकार बढ़ी फ़ीस को करें रद्द
इस दौरान छात्र नेताओं का कहना रहा कि बीते 7 दिनों से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्र संघ के पदाधिकारी आमरण अनशन पर बैठे हैं. उनके साथ विश्वविद्यालय और स्थानीय प्रशासन के जरिए दुर्व्यवहार किया जा रहा है. सरकार से यह निवेदन करते हैं कि वह विश्वविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करें और विश्वविद्यालय प्रशासन को यह निर्देशित करें कि बढ़ी हुई फीस को रद्द कर दिया जाए, क्योंकि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह 400 फीसदी फीस का बोझ झेल सकें.