वाराणसीः जिले के काशी हिंदू विश्वविद्यालय का विवादों से नाता टूटता नजर नहीं आ रहा है. विश्वविद्यालय से एक विवाद खत्म होता है तो दूसरा विवाद शुरू हो जाता है. संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में मुस्लिम असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के बाद हुआ हंगामा अभी शांति हुआ ही था कि असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में हिंदी भाषा को लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है.
वाराणसीः बीएचयू में अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर छात्रों ने निकाला आक्रोश मार्च
यूपी के वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्रों ने प्रदर्शन किया. छात्रों का आरोप है कि इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के समय अंग्रेजी वाले छात्रों को वरीयता दी जाती है.
अंग्रेजी के छात्रों को वरीयता दिए जाने का लगाया आरोप
दरअसल विगत दिनों इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के दौरान इंटरव्यू देने आए छात्रों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के कुलपति अंग्रेजी का ज्ञान कम होने पर छात्रों को इंटरव्यू में कम समय देते हैं. साथ ही आरोप लगाया कि उन्हें समय से पहले ही बाहर निकाल दिया जाता है. इसी को लेकर शुक्रवार को छात्रों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आक्रोश मार्च निकाला.
धारा 144 लागू होने पर भी किया प्रदर्शन
प्रदेश में धारा 144 लागू होने की वजह से पुलिस प्रशासन ने छात्रों को बाहर आने नहीं दिया, लेकिन छात्रों ने विश्वविद्यालय का मुख्य द्वार बंदकर जमकर नारेबाजी की. छात्रों का आरोप था कि विश्वविद्यालय के कुलपति राकेश भटनागर हिंदी भाषा के छात्रों की अनदेखी करते हैं और अंग्रेजी भाषा आने वाले छात्रों को वरीयता देते हैं. छात्र मृत्युंजय तिवारी ने आरोप लगाते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस की संध्या पर हम सभी छात्रों ने कुलपति को आइना दिखाने के लिए आक्रोश मार्च निकाला है.