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विश्वनाथ धाम की तर्ज पर होगा इस ऐतिहासिक मंदिर का विकास, राजा यादवेंद्र ने दिया था दान

विश्वविद्यालय संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में स्थापित पंचदेव मंदिर के स्वरूप को विश्वनाथ मंदिर मॉडल के आधार पर विकसित किया जाएगा. रमन त्रिपाठी के द्वारा एक ट्रस्ट का गठन किया गया है. जिसका संकल्प है कि सनातन धर्म के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के साथ ही 1001 मंदिरों का जीर्णोद्धार करना है.

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Published : Feb 7, 2022, 3:43 PM IST

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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय

वाराणासी:सबसे ऐतिहासिक विश्वविद्यालय संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय(Sampurnanand Sanskrit University) के परिसर में स्थापित पंचदेव मंदिर के स्वरूप को विश्वनाथ मंदिर मॉडल के आधार पर विकसित किया जाएगा. 300 साल पुराना मंदिर अब नए स्वरूप में नजर आएगा, जिसको बनाने का बीड़ा एक संस्था ने उठाया है. अब वह इसे नए कलेवर के साथ तैयार कर रही है.

300 साल पुराना है ये ऐतिहासिक मंदिर, राजा यादवेंद्र ने दिया था दान

बता दें कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में यह मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है, जिसे जौनपुर के राजा यादवेंद्र दुबे (Raja Yadvendra Dubey Jaunpur) ने विश्वविद्यालय को दान किया था. विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी शशीन्द्र मिश्र ने बताया कि यह परिसर बहुत पुराना है. इस परिसर में कई ऐतिहासिक विरासते भी मौजूद है. जिनमें मुख्य भवन के साथ-साथ ऐतिहासिक मंदिर भी हैं. उन्होंने बताया कि समय के साथ सभी कुलपतियों ने इस मंदिर को बेहतर बनाने की कोशिश की है, लेकिन यह मंदिर जीर्ण अवस्था में था. जिसके जीर्णोद्धार का बीड़ा भारतीय मूल के निवासी और वर्तमान में अमेरिका के अप्रवासी रमन त्रिपाठी ने उठाया है. उन्होंने विश्वविद्यालय के मंदिर को गोद ले करके इसे विश्वनाथ मंदिर के मॉडल पर विकसित करने का संकल्प लिया है.

सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी शशीन्द्र मिश्र ने बताया कि रमन त्रिपाठी के द्वारा एक ट्रस्ट का गठन किया गया है. जिसका संकल्प है कि सनातन धर्म के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के साथ ही 1001 मंदिरों का जीर्णोद्धार करना. जिसमें से एक विश्वविद्यालय परिसर का पंचदेव मंदिर भी है. जिसका सुंदरीकरण किया जा रहा है.

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इसके साथ ही कुलपति आवास में स्थापित मंदिर, सती माता मंदिर को भी मॉडल रूप में विकसित किया जा रहा है. साथ ही स्मार्ट सिटी के तर्ज पर वृक्षारोपण भी किया जा रहा है. जिससे इस परिसर की भव्यता को और बढ़ाया जा सके. साथ ही जनपद में आने वाले पर्यटक भी इस विश्वविद्यालय की ऐतिहासिकता व सुंदरता का रमणीय दर्शन कर सकें.

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