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एक ऐसा शख्स जो अब तक लगवा चुके हैं साढ़े आठ लाख से ज्यादा पौधे - मदन मोहन मालवीय

समाजसेवी अनिल कुमार सिंह अब तक वाराणसी और आस-पास के जिलों में साढे आठ लाख से ज्यादा पौधे लगवा चुके हैं. वहीं ईटीवी भारत से बातचीत कर उन्होंने बताया कि पौधे लगाने की प्रेरणा उन्होंने अपने पिता जी से ली है.

समाजसेवी अनिल कुमार सिंह

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Published : Jul 5, 2019, 12:01 AM IST

वाराणसी: सिर पर हिमाचली टोपी और 60 साल की उम्र में भी जबरदस्त जोश. हम बात कर रहे हैं जिले के समाजसेवी अनिल कुमार सिंह की. जो साल 1990 से वृक्षों को संरक्षित करने और पौधों को लगाकर उनके वृक्ष बनने तक उनकी देखरेख कर रहे हैं. अनिल सिंह आजमगढ़ पिपरी के रहने वाले हैं और वर्तमान में जिले के बीएचयू के पीछे स्थित कॉलोनी में रहते हैं. वह अपने पिता और महामना मदन मोहन मालवीय को प्रेरणा मानकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रयास कर रहे हैं.

संवाददाता ने की समाजसेवी अनिल सिंह से बातचीत.


जानिए कौन हैं अनिल सिंह और क्यों हैं चर्चा में

  • समाजसेवी अनिल सिंह ने वाराणसी सहित अन्य जिलों में लगभग 8.50 लाख से ज्यादा पौधे लगाए है.
  • वह अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा धरती को हरा-भरा बनाने में लगा रहे हैं.
  • पांच एकड़ का एक बड़ा जमीन का हिस्सा अनिल सिंह जी ने सिर्फ नर्सरी के लिए डिवेलप किया है.
  • नर्सरी में शीशम, सागौन, पीपल, बरगद, जामुन, अमरूद समेत कई फलदार और छायादार पौधे लगाए हैं.
  • पेड़ों के कुछ बड़ा होने के बाद उन्हें किसानों और छात्रों के साथ लोगों तक मुफ्त में पहुंचाते हैं
  • गड्ढा खोदना और पेड़ों को लगाने का काम भी वह खुद करते हैं.
  • समाजसेवी अनिल सिंह ने एक मालवाहक पर प्लास्टिक की टंकी भी रखवा कर पेड़ों को पानी देते रहने के लिए एक और छोटा सा प्रयास भी किया है.
  • जीवन काल में अनिल सिंह का लक्ष्य है एक करोड़ पौधों को लगाकर धरती को एक नया रूप देने का.

वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए वन विभाग अधिकारी अविनाश कुमार राय ने बताया कि मैं पिछले दो सालों से अनिल सर को देख रहा हूं. उन्होंने लगभग साढ़े आठ पौधें काशी और आस-पास के जिलों में लगवाए हैं. वहीं ये किसानों, ग्रामीणों और छात्रों को निशुल्क पौधे देते हैं और ये यूपी के वन विभाग के ब्रांड एम्बेसडर भी है.

मेरा गांव आजमगढ़ है.ये प्रेरणा मुझे मेरे पिताजी से मिली. गांव में पौधे लगाना और संरक्षित करना उनका उद्देश्य था. अपनी ही जमीन पर उन्होंने कई आम के वृक्ष लगवाए और उसका एक भी आम घर वालों को ना खाने की कसम दिलवाई, जिसके बाद वह आम आज भी गांव वालों में ही बांटा जाता है. बस पिताजी के इस प्रयास से मेरे मन में वृक्षों को सुरक्षित- संरक्षित करने का विचार आया. साल 1990 से मैनें ये काम करना शुरू कर दिया. दो सालों से यह काम में काफी तेजी से कर रहा हूं. गांव-गांव चयनित करता हूं , सार्वजनिक स्थलों और पार्कों में पौधों को लगवाता हूं. स्कूलों और कॉलेज में लगवाने से मेरे पौधे बहुत सुरक्षित रहते हैं. अब तक कुल 8 लाख 56हजार पौधे लगवा चुका हूं.
अनिल सिंह, समाजसेवी

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