वाराणसी:समाज में हमेशा दोयम दर्जे की समझी जाने वाली महिलाएं अब दकियानूसी सोच को बदल कर समाज में नई पहचान बनाने में भरोसा रखती हैं. महिलाएं हर क्षेत्र में खुद को स्थापित करने की भरपूर कोशिश कर रही हैं. वर्तमान समय में महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण को लेकर के एक नया आयाम प्रस्तुत किया है. इसका एक उदाहरण वाराणसी की जमुना भी हैं. जो समाज की सोच के विपरीत अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए गंगा में नाव चलाती हैं. जी हां वाराणसी के अहिल्याबाई घाट पर रहने वाली जमुना 10 साल की उम्र से नाव चलाती हैं. शादी के बाद तो इनकी जीविकोपार्जन का सहारा नाव चलाना ही हो गया. समाज के तानों के बावजूद भी जमुना डिगी नहीं. आज भी वह नौका संचालन कर अपना गुजारा करती हैं.
जमुना ने बच्चों की पढ़ाई के लिए गंगा में नाव चलाना शुरू किया.
परिवार के जीविकोपार्जन के लिए चलाती हैं नाव
जमुना ने बताया कि नाव चलाना उनका शौक नहीं मजबूरी है. उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं, जिनको पढ़ाने के लिए यह काम करती हैं. उन्होंने बताया कि उनका सपना है कि उनके बच्चे पढ़ लिखकर नौकरी करें. इस वजह से वह खुद समाज के दकियानूसी ख्यालों को छोड़ आगे बढ़कर काम कर रही हैं. ताकि वह अपने और अपने बच्चों के सपने को पूरा कर सकें. उन्होंने बताया कि लोगों का काम ताने कसना है, लेकिन हमें अपने बच्चों के सपने को देखना है. हमें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई क्या कहता है. हमें सिर्फ अपने परिवार की खुशी देखनी है. इसलिए हम काम करते हैं और हमें इस पर फक्र है.
जमुना ने बच्चों की पढ़ाई के लिए गंगा में नाव चलाना शुरू किया. दे रही महिला सशक्तिकरण का संदेश विदित हो कि समाज कितना भी आगे बढ़ रहा हो, लेकिन अब भी महिलाएं नाव संचालन के काम में आने से कतराती हैं, लेकिन जमुना ने समाज के उस रीत को तोड़कर उन महिलाओं को हिम्मत और हौसला दिया है, जो समाज के दकियानूसी सोच के कारण अपने सपने को पूरा नहीं कर पाती हैं. उन्होंने महिला सशक्तिकरण की एक अद्भुत मिसाल पेश की है कि यदि महिलाएं चाहें तो वह कुछ भी कर सकती हैं.