वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी मामले में नियमित दर्शन को लेकर दायर की गई याचिका के बाद कमीशन की कार्यवाही 4 दिनों तक चली. सोमवार को कमीशन की कार्यवाही के अंतिम दिन एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने इस पूरी कार्यवाही की शक्ल को ही बदल कर रख दिया, क्योंकि हिंदू पक्ष ने यह दावा है कि मस्जिद के अंदर वजू वाले स्थान पर एक तालाब में भव्य शिवलिंग मिला है और अब इस शिवलिंग को लेकर इस मामले में मुकदमा दाखिल करने वाली संस्था विश्व सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने एक और नया राग छेड़ दिया है. उन्होंने कहा कि यह केस राम मंदिर की तरह 50 या 500 साल तक नहीं चलेगा बल्कि इसका निपटारा हम संवैधानिक तरीके से अपने जीते जी कराएंगे. साथ ही अपने जीवन काल में ही वहां पर भव्य महादेव के मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा.
विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अंदर लगभग 12.5 फीट का विशाल का शिवलिंग मिला है, जो जमीन के अंदर से जुड़ा हुआ है. उनका दावा था कि नंदी का मुख ठीक उसी तरफ है उसी स्थान पर यह शिवलिंग मिला है, जो कई प्रमाणों में सबसे बड़ा प्रमाण है.
उनका कहना है कि कल कोर्ट में सारे सबूत प्रस्तुत करने के बाद 1-1 साक्ष्य के बारे में वह मीडिया से बात करेंगे. इसके अलावा उन्होंने यह भी दावा किया कि राम मंदिर की तरह इस मुकदमे को 500 साल तक नहीं खींचने देंगे. हमें राम मंदिर निर्माण में इतना वक्त लगा. लेकिन हम इस मुकदमे को अपने जीते जी संवैधानिक तरीके से जीतेंगे और यहां पर भव्य विश्वेश्वर के मंदिर का निर्माण करवाया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि भव्य मंदिर का निर्माण होगा. हमारी संस्था ने तो उसका स्ट्रक्चर भी तैयार कर लिया है. जल्द ही वह मॉडल मीडिया के सामने भी हम पेश करेंगे.
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दरअसल, विश्व वैदिक सनातन संघ अलग-अलग शहरों में मुगलकालीन मस्जिदों और स्ट्रक्चर पर हिंदू देवी देवताओं के मंदिर होने का दावा करते हुए लगातार मुकदमे लड़ रही है. इस मामले में वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में 18 अगस्त 2021 को डॉ हरिशंकर जैन और जितेंद्र सिंह बिसेन, जो इस संघ के प्रमुख हैं. उनके नेतृत्व में राखी सिंह के द्वारा पहला वाद दाखिल किया गया था, जिसके बाद चार अन्य महिलाओं ने इस वाद में शामिल होकर सिंगार गोरी में नियमित दर्शन के साथ ही एक कमीशन बनाने की मांग रखते हुए अंदर मौजूद देव विग्रहों और हिंदू सनातन धर्म की मौजूदगी के निशान बताते हुए उसकी वीडियोग्राफी कराने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए कार्यवाही शुरू की और 6 मई को पहली कार्रवाई होने के बाद 7 मई को विरोध हुआ. लेकिन बाद में कोर्ट ने पुनः कार्यवाही का आदेश दिया और 14, 15 और 16 मई को वीडियोग्राफी की कार्यवाही पूर्ण की गई.
वहीं, सोमवार को जब यह कार्यवाही पूर्ण हुई तब 1996 में श्रृंगार गौरी प्रकरण में पहले से ही याचिकाकर्ता रह चुके सोहनलाल आर्य बाहर निकले और उन्होंने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि बाबा मिल गए. उन्होंने कहा कि तालाब के अंदर यानी वजू वाले स्थान पर मस्जिद के बाहरी हिस्से में एक बड़ा काला शिवलिंग नुमा पत्थर मिला है, जो पुरातन विश्वेश्वर शिवलिंग है. इस दावे के बाद हड़कंप मच गया और हिंदू पक्ष ने इस स्थान को सील करते हुए इस साक्ष्य की सुरक्षा की मांग करते हुए इस स्थान को सील कर सीआरपीएफ लगाने और 20 की संख्या में नमाजियों को अंदर दाखिल होने के आदेश देने की अनुमति मांगी, जिस पर कोर्ट ने जिला प्रशासन को आदेश देते हुए इस स्थान को तत्काल सील कर सीआरपीएफ कमांडेंट को यहां पर फोर्स लगाने और शासन स्तर पर डीजीपी और प्रमुख सचिव को इस पूरे मामले की निगरानी का आदेश दिया.
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