वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर (Sri kashi Vishwanath Temple) में न्यास की तरफ से शनिवार को पहली बार राम की शक्ति पूजा का मंचन किया गया. यह कार्यक्रम कॉरिडोर के शंकराचार्य चौक में आयोजित किया गया. मंचन के ठीक पहले न्यास के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय, मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा और मुख्यकार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा संग न्यास के सदस्य वेंकटरमन घनपाठी ने मंत्रोच्चारण कर नाटक के देव स्वरूपों का पूजन किया और उन पर पुष्पवर्षा की. इसके बाद काशी के मूर्धन्य नागरिकों की उपस्थिति में मंचन शुरू किया गया.
नागरी नाटक के मंचन में राम-रावण युद्ध के दौरान जब प्रभु राम निराश होते हैं और हार का अनुभव कर रहे होते हैं. उसी समय उनकी सेना भी खिन्न हो जाती है. प्रिय सीता की याद में उनके अवसाद को और घना बनाया गया था. वह बीते दिनों के पराक्रम और साहस के स्मरण को भूल जाते हैं. वहीं, जहां बुजुर्ग उमंगित होना चाहते हैं. लेकिन, सभी का मनोबल ध्वस्त है. शक्ति भी रावण के साथ है. देवी स्वयं रावण की ओर से लड़ रही हैं. राम ने उन्हें देख लिया है. वह मित्रों से कहते हैं कि विजय असंभव है और शोक में जामवंत उन्हें प्रेरित कर उन्हें सलाह देते हैं. फिर राम ऐसा ही करते हैं.
बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर के शंकराचार्य चौक में आयोजित कार्यक्रम में एक तरफ लक्ष्मण, हनुमान आदि के नेतृत्व में घनघोर संग्राम जारी है. इधर राम की साधना चल रही है. उन्होंने देवी को 160 नीलकमल अर्पित करने का संकल्प लिया था. लेकिन, देवी चुपके से आकर आखिरी पुष्प चुरा ले जाती हैं. राम विचलित और स्तब्ध हैं. तभी उन्हें याद आता है कि उनकी आंखों को मां नीलकमल कहा करती थीं. वह अपना नेत्र अर्पित कर डालने के लिए हाथों में तीर उठा लेते हैं. तभी देवी प्रकट होती हैं. वह राम को रोकती हैं, उन्हें आशीष देती हैं, उनकी अभ्यर्थना करती हैं और राम में अंतर्ध्यान हो जाती हैं.