वाराणसी: पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान के तहत विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए जा रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से गांधी जी का चश्मा दिखाया जाता है, क्योंकि हम सब जानते हैं कि इसकी शुरुआत महात्मा गांधी ने ही की थी. यह बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि गांधी जी ने सबसे पहले स्वच्छता की शुरुआत काशी से की थी.
'विश्व में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इतने भूखे हैं कि भगवान उन्हें किसी और रूप में नहीं दिख सकता, सिवाय रोटी देने वाले के रूप में'
महात्मा गांधी
1903 में पहली बार काशी में किए प्रवेश
धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी जो विश्व के सबसे पुराने शहरों में एक है. ऐसे में हम बात करें तो महात्मा गांधी कि तो वह 1903 में पहली बार वाराणसी आए थे. उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन की इच्छा जताई, मगर उन्होंने जो वहां पर देखा उससे वह बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हुए. मक्खियों का झुंड, दुकानदारों व तीर्थ यात्रियों का शोर उनके लिए बिल्कुल असहनीय था. विश्वनाथ मंदिर जाते हुए गलियों के गंदगी को देखकर गांधी जी बहुत दुखी हुए थे. मंदिर पहुंचने पर गांधी जी का सामना सड़े हुए फूलों की दुर्गंध से हुआ. उन्होंने देखा कि लोग सिक्कों से अपनी भक्ति को जाहिर करने का जरिया बनाए हुए हैं, जिसकी वजह से न केवल संगमरमर की फर्श पर दरारे थी, बल्कि इन सिक्कों पर धूल के जमने से काफी गंदगी भी हो रही थी. ईश्वर की तलाश में वह मंदिर के पूरे परिसर में भटकते रहे मगर उन्होंने धूल और गंदगी के सिवाय कुछ भी नहीं देखा.
'किसी की मेहरबानी मांगना, अपनी आजादी बेचना'