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क्या है भगवान विष्णु का रक्षाबंधन त्योहार से रिश्ता, कुछ अनसुनी कथाएं - रक्षाबंधन त्योहार मनाया गया

पूरे देश में आज रक्षाबंधन त्योहार मनाया जा रहा है. इस अवसर पर सभी बहनें भाईयों को राखी बांधती हैं लेकिन इस रक्षाबंधन के त्योहार की भी अपनी एक कथा है. जो भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को जोड़ती है.

रक्षाबंधन के त्योहार पर कुछ अनसुनी कथाएं बताते हुए बीएचयू के प्रोफेसर विनय पांडेय

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Published : Aug 15, 2019, 4:59 PM IST

वाराणसी: रक्षाबंधन का त्योहार यूं तो कई सारी खुशियां और अपनापन समेटे हुए आता है, जहां एक तरफ भाई बहन का यह अटूट रिश्ता लोगों को प्यार से बांध देता है तो वहीं दूसरी तरफ रक्षाबंधन का यह त्यौहार भक्तों को ईश्वर से भी बनता है.
इस त्यौहार में सिर्फ अपनापन और प्यार ही नहीं बल्कि कई ऐसी संवेदनाएं छुपी हुई है जिससे बहुत लोग अभी भी रूबरू नहीं है. रक्षाबंधन के त्यौहार के पीछे कई तरह की पौराणिक कथाएं हैं.

अनसुनी कथाएं बताते हुए बीएचयू के प्रोफेसर विनय पांडेय
  • धर्म की नगरी काशी में अनेकों विद्वान ऐसे हैं जिनको हिंदू धर्म के त्योहारों के बारे में कई ऐसी बातें पता होंगी जो शायद किसी आम इंसान को ना पता हों.
  • काशी के विद्वानों की बात की जाए तो यहां के ज्योतिषाचार्य रक्षाबंधन जैसे त्योहारों की कई ऐसी कहानियां बताते हैं जो सीधे भक्तों को ईश्वर से जोड़ती है.
  • जब धर्म की नगरी काशी में रक्षाबंधन की बात होती है तो बात आती है भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी की इसके साथ ही दानवेन्द्र बलि की.
  • बात तब की है जब देवी लक्ष्मी ने बाली को रक्षा सूत्र में बांधकर उनसे अपना मनचाहा वचन ले लिया था.

जानिए जब..भगवान विष्णु को बदलने पड़ते थे 360 रुप-

  • भगवान विष्णु को अपने ही एक वरदान के कारण रोजाना ही 360 से ज्यादा रूप लेने पड़ रहे थे. जिसको देखकर उनकी धर्मपत्नी देवी लक्ष्मी काफी विचलित हो उठी.
  • वह वरदान मिला था दानवेन्द्र बलि को जिसके लिए भगवान रोजाना ही 360 रूपों में सुबह अपने धाम से निकल पड़ते थे.
  • उनको इस तरीके से मिल रहे कष्ट से दूर रखने के लिए देवी लक्ष्मी ने बलि के हाथ पर राखी बांधी और उससे यह वचन ले लिया कि वह भगवान को मुक्त कर दें.
  • देवी द्वारा राखी बांधे जाने के बाद वह वचनबद्ध हो गया और भगवान विष्णु को मुक्त कर दिया.
  • तब से यह त्यौहार भाइयों के हाथ पर रक्षा बांधकर मनाया जाता है, जिसमें बहने उनसे वचन लेती है कि वह जिंदगी भर उनकी रक्षा करेंगे.
  • इस त्योहार के यूं तो कई ऐतिहासिक महत्व भी है लेकिन पौराणिकता में पहुंचा जाए तो यह सबसे पहली कहानी मिलती है जब देवी लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया था.

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