वाराणसी: मन में सेवाभाव का जज्बा हो तो मुश्किलें आपका रास्ता नहीं रोक सकती हैं. वाराणसी के मिर्जापुर निवासी सूबेदार यादव ने कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है और लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं. सूबेदार यादव ने समाज सेवा के लिए पैसों की किल्लत आने पर पहले तो अपनी बाइक गिरवी रख दी. इसके बाद भी जरूरत पड़ी तो खेत भी गिरवी रख दिया जो इलाके में चर्चा विषय बन गया है. सूबेदार यादव अपने गांव अदमापुर वाराणसी से लेकर गाजीपुर तक समाज की सेवा कर रहे हैं.
2013 से समाज सेवा का सफर-वाराणसी के मिर्जामुराद के अदमापुर निवासी सूबेदार यादव जब इलाहाबाद से पढ़ाई करने के बाद साल 2013 में वापस घर लौटे तो गांव के लोगों संगम स्नान के लिए प्रयागराज लेकर गए. यह उनका समाज सेवा करने का पहला काम था. इसके बाद सूबेदार यादव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ते गए. एक बार वो गांव के मरीज को बीएचयू ट्रामा सेंटर में लेकर पहुंचे तो वहां टिनसेड का अभाव देखा. जिसके बाद उन्होंने अपनी गाड़ी गिरवी रखकर 25 हजार रुपये में ट्रामा सेंटर पर टिनसेड बनवाने का काम किया.
समाजसेवी सूबेदार यादव से बातचीत राष्ट्रपति ने ग्राम प्रधान को किया सम्मानित-सूबेदार यादव गांव में अखाड़ा बनवाने का काम किया. अखाड़ा में मरम्मत कराने में करीब 7 से 8 लाख रुपये का खर्च आया. जिसके बाद सूबेदार यादव कर्ज में डूब गए. उनके ऊपर अभी भी 3 से 4 लाख रुपये का कर्ज है. गांव में सराहनीय कार्यों के लिए राष्ट्रपति की तरफ से ग्राम प्रधान को सम्मानित किया.
वीर अब्दुल हमीद स्मारक बनाने में कई लाख खर्च- वर्तमान में सूबेदार यादव गाजीपुर में शहीद वीर अब्दुल हमीद स्मारक को बनवाने का काम कर रहे है. इसके लिए सूबेदार यादव ने जिला प्रशासन और कमिश्नर से परमिशन ली है. सूबेदार यादव ने बताया कि जब वह पहली बार गाजीपुर शहीद वीर अब्दुल हमीद के स्मारक गए तो जर्जर और खस्ताहाल स्माकर देखकर उसे बनवाने का मन बनाया. इसको लेकर सभी कागजी कार्रवाई पूरी कर निर्माम कार्य शुरू कर दिया गया है. की उसके बाद हम लोग बनवाने का कार्य करने लगें. इसमें करीब 6 से 7 लाख रुपए का खर्च आएगा. इसके लिए एक अभियान चलाकर वो चंदा जुटाने का काम कर रहे रहे हैं.
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पैसे इकट्ठा करने के लिए नौकरी करेंगे सूबेदार-सूबेदार यादव ने बताया कि समाज सेवा करते समय उन्हें पैसों की काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके लिए उन्होंने ढाई बीघे खेत गिरवी रखकर 3 से 4 लाख रुपए कर्ज लिए हैं. इन पैसों पर हर महीने वो ब्याज भी दे रहे हैं. वहीं अब शहीद वीर अब्दुल हमीद का स्मारक बनवाने के लिए पैसों दिक्कत हो रही है. इसके लिए वो लोग चंदा जुटाने का काम करेंगे. फिर भी अगर चंदा इकट्ठा नहीं हो पाया तो वो कहीं नौकरी की तलाश करेंगे. लेकिन अपने कार्य को अधूरा नहीं छोड़ेंगे.
अब्दुल हमीद ट्रस्ट की तरफ से निर्माण नहीं-सूबेदार यादव ने बताया कि जब वो शहीद वीर अब्दुल हमीद स्मारक स्थल पहुंचे तो वहां की स्थिति देखकर स्मारक की देखरेख करने वालों का पता लगाया. जानकारी मिली कि वीर अब्दुल हमीद नाम से एक ट्रस्ट बनाया गया है, जिसे उनके परिजनों की तरफ से ही चलाया जाता है. उनके कई परिजन सेना में भी शामिल हैं. लेकिन उनकी तरफ से कोई काम नहीं किया गया. जिसके बाद सूबेदार यादव ने उनसे बात करके काम शुरू करवा दिया है.
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