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जब सिकंदर अली बनाते हैं गोवर्धन, तब यहां मनाया जाता है भैया दूज

भाई दूज का पर्व देश के विभिन्न इलाकों में मनाया जाता है, लेकिन वाराणसी में भाई दूज का अलग ही रंग नजर आता है. यहां के एक मोहल्ले में मुस्लिम भाई पूजन की पूरी व्यवस्था करते हैं.

गोवर्धन पूजा करती महिलाएं
गोवर्धन पूजा करती महिलाएं

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Published : Nov 16, 2020, 2:55 PM IST

वाराणसीः पूरे देश में सोमवार को भाई दूज का पर्व खुशी-खुशी मनाया गया. वहीं, वाराणसी जिले के लल्लापुरा स्थित कुंड पर गंगा-जमुनी तहजीब का सुंदर रंग देखने को मिला. यहां मुस्लिम भाई, हिंदू बहनों के लिए पूजन की सारी व्यवस्था करते नजर आए. साफ-सफाई से लेकर गोवर्धन बनाने का सारा काम मुस्लिम भाई करते दिखे.

20 वर्ष से कर रहे हैं यह काम

मुस्लिम समुदाय के पुरुष यह काम 20 वर्ष से कर रहे हैं. यहां पर हिंदू-मुस्लिम में कोई भेदभाव दिखाई नहीं देता. इस काम की क्षेत्र के सभी लोग प्रशंसा करते हैं. हिंदू-मुस्लिम विवाद की छाया से यह क्षेत्र काफी दूर है.

वाराणसी के सिकंदर अली हर साल बनाते हैं गोवर्धन, तब मनाया जाता है भैया दूज.

इस तरह मनाया जाता है पर्व

भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. इसमें बहनें व्रत पूजा और कथा आदि करके भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. जिले के विभिन्न कुंडों व तालाब के पास गोवर्धन बनाकर महिलाओं ने पूजन अर्चन किया. इस दौरान महिलाएं रुई और बेसन की माला बनाती हैं. मान्यता है कि माला जितनी लंबी होगी, भाई की उम्र उतनी ही लंबी होगी.

इस पर्व को हम हिंदू-मुसलमान मिलकर मनाते हैं. मैं पिछले 20 साल से यहां पर गोबर के साथ गोवर्धन बनाता हूं. भाई दूज की तैयारी करता हूं. हमारा यह मानना है. हिंदू मुसलमान सब एकता से रहें.

सिकंदर अली, स्थानीय श्रद्धालु

यहां पर भाई दूज का पर्व है. भाई के लंबी उम्र के लिए यह पूजा की जाती है. इस दौरान दो प्रकार की कथा सुनी जाती है. भगवान से भाई की लंबी आयु एवं स्वस्थ रहने की कामना करते हैं.

जानकी प्रजापति, स्थानीय श्रद्धालु

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