वाराणसी:ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर 30 मई के बाद सोमवार को एक बार फिर से जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई शुरू हुई है. राखी सिंह समेत चार अन्य वादी महिलाओं की तरफ से दायर की गई याचिका पर सुनवाई को कोर्ट आज आगे बढ़ाते हुए मुस्लिम पक्ष की तरफ से पूजा के अधिकार कानून के तहत मामले की पोषणीयता लेकर सुनवाई कर रहा है. लगातार तीन बार से मुस्लिम पक्ष अपनी दलील पेश करते हुए हिंदू पक्ष की तरफ से दायर किए गए प्रार्थना पत्र में कुल 51 बिंदुओं पर एक-एक करके अपनी बातें रख रहा था. सोमवार को इन बिंदुओं पर बहस पूरी कर ली गई है. अब कोर्ट ने 12 जुलाई को अगली सुनवाई की तिथि मुकर्रर की है.
मुस्लिम पक्ष के वकील रईस अंसारी में बताया कि मुकदमे की पोषणीयता को लेकर हिंदू पक्ष की महिलाओं की तरफ से दाखिल किए गए कुल 51 बिंदु के प्रार्थना पत्र के एक-एक बिंदु पर बहस पूरी की गई है. अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की तरफ से वकीलों ने अलग-अलग बिंदुओं पर अपनी बातें रखी है. मुस्लिम पक्षकार के वकील अभय नाथ यादव ने कोर्ट में बहस करते हुए यह सवाल उठाया है कि हिंदू पक्ष की तरफ से दायर किए गए प्रार्थना पत्र में यह खुद लिखा गया है, किस स्थान पर मुस्लिम पक्ष की मस्जिद है. अवैध ही सही लेकिन कहीं भी इस मस्जिद को हटाने या अन्य किसी तरह की कार्यवाही की बात नहीं लिखी गई है. वह अपने प्रार्थना पत्र में खुद उस स्थान को मस्जिद बता रहे हैं, जो यह साफ करता है कि 1991 के एक्ट के मुताबिक वह स्थान पूजा स्थल कानून के तहत मस्जिद है. इसी को आधार बनाकर अब हम 12 जुलाई को अपनी बहस को आगे बढ़ाएंगे.
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अब 12 जुलाई को कानून के अन्य पक्ष को लेकर बहस आगे की जाएगी. वहीं, इस मामले में हिंदू पक्ष का विष्णु शंकर जैन का कहना है कि प्रकरण 12 जुलाई को भी मुस्लिम पक्षकारों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा. उनकी बातें पूर्ण होने के बाद फिर हिंदू पक्ष अपनी बातें रखेगा और फिर हमारी बहस पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई होगी. कानूनी जानकारों का कहना है कि 12 जुलाई को मुस्लिम प्रकारों की तरफ से अपनी बातें रखने के बाद हिंदू पक्ष अपनी बात रखकर इन का काउंटर करेंगे. फिर इनकी बातों को सुनकर मुस्लिम पक्ष अपना काउंटर दाखिल कर सकते हैं. अब इस मामले में यह प्रक्रिया लंबे वक्त तक चलेगी.
धरहरा मस्जिद की याचिका पर 20 अगस्त को होगी सुनवाई
वहीं, धरहरा मस्जिद को लेकर भी सुनवाई हुई. इस मामले में राकेश पांडेय, राजा आनंद ज्योति सिंह, शशिकांत यादव, हरिकेश गुप्त और श्रीपति मिश्र अधिवक्ता हैं. इसमें सुनवाई की अगली डेट 20 अगस्त नियत कर दी गई है. वादी पक्ष का कहना है कि वह मस्जिद नहीं बिंदु माधव मंदिर है. मुगल आक्रांता औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद बिंदु माधव का मंदिर भी ढहा दिया था. वहां नमाज पढ़ने का काम तत्काल प्रभाव से रोका जाए और वहां से अवैध कब्जा हटाया जाए. इस मामले में डीएम को पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दी गई थी. वादी पक्ष के आवेदन पत्र पर सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत ने डीएम को नोटिस जारी किया है.
दरअसल, श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन करने को लेकर दायर की गई 2021 की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीनियर जज सिविल डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने 8 अप्रैल को इस मामले में वकील कमिश्नर नियुक्त करते हुए मामले की कमीशन कार्यवाही का आदेश दिया था. चार दिनों तक ज्ञानवापी का वीडियो सर्वेक्षण करने के बाद कमीशन ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की थी. इसके बाद एक नया विवाद शुरू हो गया था. ज्ञानवापी मस्जिद की देख-रेख करने वाली अंजुमन इनतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से मामले को सुनवाई योग्य न मानते हुए कोर्ट में याचिका दायर की गई. इस पर कोर्ट 7/11 के तहत मुस्लिम पक्ष को अभी सुन रहा है, इसी पर सोमवार को सुनवाई आगे बढ़ेगी.
इस मामले में बीती 30 मई को न्यायालय की तरफ से ग्रीष्मकालीन अवकाश की वजह से 4 जुलाई को पुनः 7/11 के तहत सुनवाई को आगे बढ़ाने के आदेश दिए गए थे. 30 मई को सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की ओर से दाखिल वाद के 52 बिदुओं में से मस्जिद पक्ष के वकील अभयनाथ यादव 36 बिदुओं तक ही अपनी बात रख सके थे. इसके बाद अदालत ने मुकदमे की सुनवाई की अगली तारीख चार जुलाई तय कर दी थी. दरअसल इसके पहले इस प्रकरण की सुनवाई सीनियर जज सिविल डिवीजन रवि कुमार दिवाकर के न्यायालय में चल रही थी. लेकिन, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई मुस्लिम पक्ष की याचिका पर कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 20 मई को सीनियर जज की अदालत में सुनवाई को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था.
पूरा मामला जिला जज अजय कुमार विश्वेश की अदालत में ट्रांसफर हो गया था और 23 मई से जिला जज की अदालत में इस प्रकरण की सुनवाई जारी है. नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश 7/11 के तहत मुकदमा सुनने योग्य है या नहीं इस पर पहले सुनवाई हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने वादी पक्ष के मुकदमे की योग्यता पर सवाल उठाने वाली प्रतिवादी पक्ष की दाखिल अर्जी पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई करने का जिला जज को आदेश दिया है.