वाराणसी:जिले में ई-स्टांपिंग की शुरुआत हुए 1 साल से भी ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अभी भी लोगों के बीच स्टांप पेपर देखने को मिल रहे हैं. जानकारी के अनुसार वाराणसी के कोषागार से प्रतिदिन लगभग एक करोड़ स्टांप की निकासी हो रही है और काउंटर से 30 से 40 लाख तक की बिक्री होती है. अगर बात करें वेंडर्स की तो करीब 60 से 70 लाख रुपये के स्टांप सिर्फ वेंडर ही क्रय करते हैं. हालांकि सरकार इस बात को लेकर पहले से ही दृढ़निश्चयी है कि स्टांप पेपर को जल्द से जल्द बंद किया जाए.
वाराणसी में हाल में ही स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार रविंद्र जायसवाल ने कहा था कि भौतिक स्टांप पेपर के लिए अब किसी भी प्रकार के नए ऑर्डर नासिक या हैदराबाद प्रिंटिंग प्रेस को नहीं देने का फैसला किया गया है. फिलहाल अभी स्टांप पेपर को बंद करने के किसी भी प्रकार के आदेश कोषागार कार्यालय को नहीं दिए गए हैं. इस संबंध में कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें भी नहीं पता कि स्टांप पेपर कब से बंद हो जाएंगे और भविष्य में यह दिखेंगे भी या नहीं.
वाराणसी जिले में स्टांप पेपर का बहुत अधिक स्टॉक नहीं है. अगर बिक्री बढ़ी तो संभवत: मार्च महीने तक स्टांप पेपर कोषागार से खत्म हो जाएंगे. बता दें कि ई-स्टाम्प का चलन पिछले लगभग 1 साल से है, लेकिन इसका बहुत मामूली ही असर पड़ा है और अधिक राशि के क्रय विक्रय के लिए लोग स्टांपिंग के लिए बैंक जा रहे हैं. वैसे तो ई-स्टांपिंग प्रभावी होने पर स्टांप वेंडरों को भविष्य में किस प्रकार की सहूलियत मिलेगी, इसका जवाब अभी किसी के पास नहीं है.
इस मुद्दे को लेकर स्टांप वेंडर लामबंद भी होते दिखाई दे रहे हैं. इस संबंध में स्टांप विक्रेता कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव का कहना है कि प्रदेश कार्यकारिणी के आदेशानुसार 45 हजार स्टाफ मेंबर की समस्याओं के निस्तारण के लिए फतेहपुर से 2 अक्टूबर से प्रदेश महामंत्री फूलचंद सोनकर की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल स्टांप आयुक्त से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपेगा. यह प्रतिनिधिमंडल 2 अक्टूबर से पदयात्रा कर 5 अक्टूबर को आयुक्त से मुलाकात करेगा और प्रदेश की कार्यकारिणी के निर्देश के बाद भविष्य की रणनीति तय की जाएगी.