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बीएचयू में शंकराचार्य का अद्वैत दर्शन पर पढ़ाई के साथ होगा शोध

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में नए साल पर सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा दीनदयाल उपाध्याय सेंटर की स्थापना की गई है. इस सेंटर में बच्चों को मुकेश शंकराचार्य के सिद्धांतों के बारे में पढ़ाया जाएगा और उस पर रिसर्च किया जाएगा. साथ ही 2 वर्षीय परास्नातक के कोर्स के संचालन के साथ सेंट्रल की बिल्डिंग बेहद ही आधुनिक बनाई जाएगी.

एचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर ने दी जानकारी
एचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर ने दी जानकारी

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Published : Jan 4, 2021, 8:47 AM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में नए साल पर सामाजिक विज्ञान संकाय द्वारा दीनदयाल उपाध्याय सेंटर की स्थापना की गई है. इसका प्रस्ताव तैयार कर बीएचयू के कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर को सौंप दिया गया है. इसका नाम 'दीनदयाल उपाध्याय सेंटर फॉर स्टडीज इन इंटीग्रल ह्यूमैनिज्म एंड हॉलिस्टिक डेवलपमेंट' होगा. इसके अलावा मुकेश शंकराचार्य के सिद्धांतों के बारे में पढ़ाया जाएगा और उस पर रिसर्च किया जाएगा.

6 करोड़ की लागत से बनेगा भवन

बीएचयू में जनवरी माह के बीच में होने वाले विद्वत परिषद और उसके बाद कार्यकारिणी परिषद की बैठक में इसे प्रस्तुत किया जाएगा. इस प्रस्ताव के अनुसार तमाम अत्याधुनिक संसाधनों उपकरणों से लैस होने वाले सेंटर के निर्माण पर 6 करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा. कमेटी में पारित होने के बाद भी धन दिया जाएगा.

2 वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएशन का होगा संचालन

जानकारी के मुताबिक 2 वर्षीय परास्नातक के कोर्स के संचालन के साथ सेंट्रल की बिल्डिंग बेहद ही आधुनिक बनाई जाएगी. क्लासरूम, लाइब्रेरी, टीचर चेंबर, नॉन टीचर रूम, आधुनिक सेमिनार हॉल, के साथ सेमिनार हॉल पूरी तरीके से एयर कंडीशन बनाया जाएगा.

इन विषयों को पढ़ाया जाएगा

समाजिक विज्ञान संकाय के प्रमुख प्रोफ़ेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि सेंटर में समाज राजनीति और अर्थशास्त्र के साथ एक पीड़ित मानवता की संकल्पना को साकार किया जाएगा. इसमें एकात्मक मानव दर्शन, सुशासन, अर्थव्यवस्था व्यष्टि से समष्टि, संपूर्ण रोजगार, राष्ट्रीय बुद्धिमत्ता, राष्ट्रीय सुरक्षा, वोकल पर लोकल, स्वदेशी की भावना जनचेतना द्वारा सामाजिक बदलाव और आत्मनिर्भर जैसे विषयों को पढ़ाया जाएगा.

प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि सेंटर में जो कोर्ट होगा उसमें शंकराचार्य का अद्वैत दर्शन विविध शोध होगा. ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या ऐसी प्राचीन आध्यात्मिक विचार धाराओं पर भी शोध किया जाएगा. इसके अलावा भारतीय पाश्चात्य राजनीतिक चिंतक विश्व इतिहास राजनैतिक संस्थान आजादी के पूर्व पश्चात भारत में विज्ञान एवं तकनीकी तथा कौशल विकास विषयों पर अधन्य होगा.

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