वाराणसी: शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (shankaracharya swaroopanand saraswati) ने रविवार दोपहर अपनी देह त्याग दी. इस समाचार के बाद उनके अनुयायियों में गहरा शोक है. देश नहीं, बल्कि पूरे विश्व में धर्म पताका को ऊपर करने वाले स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कई बार अपने विवादित बयानों की वजह से भी चर्चा में रहे. उनके कुछ ऐसे बयान और उनके कुछ ऐसे कदम जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में भी काफी हंगामा रहा. आप भी जानिए उनके ऐसे विवादित बोल जो स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तरफ से दिए जाने के बाद काफी चर्चा का विषय बने रहे.
ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (shankaracharya swaroopanand saraswati) स्वतंत्रता सेनानी भी रहे. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अपनी बेबाक राय के लिए भी अलग पहचान रखते थे. जनवरी, 2014 में जबलपुर में एक पत्रकार ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से पूछा था कि नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल में से बेहतर प्रधानमंत्री कौन है. कहा जाता है कि इस पर वह भड़क गए थे और पत्रकार को थप्पड़ जड़ दिया था. इसे लेकर विवाद हुआ तो कांग्रेस शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बचाव में उतर आई. उस दौरान मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल ने कहा था कि साधु-संतों से राजनीतिक सवाल नहीं किया जाना चाहिए. उनसे धार्मिक सवाल करना चाहिए. शंकराचार्य स्वरूपानंद जी को गुस्सा नहीं आता है. उनसे राजनीतिक सवाल मत करिए. उन्होंने थप्पड़ नहीं मारा था.
जून, 2014 में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (shankaracharya swaroopanand saraswati) ने कहा था कि साई पूजा हिंदू धर्म के खिलाफ है. साई भक्तों को भगवान राम की पूजा, गंगा में स्नान और हर-हर महादेव का जाप करना चाहिए. साई बाबा को उन्होंने महाराष्ट्र में सूखे का कारण भी बताया था. कहते थे कि साई बाबा फकीर और अमंगलकारी थे. उनकी पूजा करने पर आपदा आती है.
महिलाओं को महाराष्ट्र के शिंगणापुर शनि मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी तो उन्होंने कहा था कि शनि एक पाप ग्रह हैं. उनकी शांति के लिए लोग प्रयास करते हैं. महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिलने पर इतराना नहीं चाहिए. शनि पूजा से महिलाओं का हित नहीं होगा. उनके प्रति अपराध और अत्याचार में बढ़ोतरी ही होगी. शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट को अदालत की कार्रवाई का डर दिखाकर मंदिर में महिलाओं को अनुमति दिलाकर उनसे जबरन अधर्म कराया गया है.