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ईद पर मिठास घोलने में जुटा हिन्दू परिवार, लॉकडाउन ने फीकी कीं सेवइयां - lockdown effect on sewai makers

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में ईद में मिठास घोलने वाली सेवइयों पर भी लॉकडाउन का असर देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन के कारण सेवई कारोबारियों को बहुत कम ऑर्डर मिले हैं.

making of sewai started
सेवई बनाने की तैयारी शुरू

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Published : May 22, 2020, 8:40 PM IST

वाराणसी: बनारस को यूं ही गंगा-जमुना तहजीब का शहर नहीं जाना जाता है. यहां के लोग आपसी सौहार्द को बनाए रखने में अपनी सदैव भूमिका निभाते हैं. पूरे देश में कैसा भी माहौल हो, कितना भी तनाव हो लेकिन बनारस में लोग अल्हड़पन और खुशमिजाजी के साथ ही जीते हैं. जमाने से यहां पर सांप्रदायिक सौहार्द कायम है. यहां हर त्यौहार लोग मिल-जुलकर मनाते हैं, लेकिन लॉकडाउन की मार ने ईद में सेवई कारोबार पर भी अपना असर दिखा दिया है.

सेवई बनाने की तैयारी शुरू

सेवइयों की तैयारी
ऐसे ही आपसी सौहार्द का एक नजारा वाराणसी के भदोही चुंगी क्षेत्र के सेवई मंडी में देखने को मिला. यहां पर ईद के दिन बनाई जाने वाली सेवई को हिंदू भाइयों के ओर से तैयार किया जाता है. इन दिनों भी यह लोग ईद के लिए सेवइयां बनाने में मशगूल हो गए हैं. यहां पर लोग अपने हाथों से इसे तैयार करते हैं और उसको पैक करके देश के विभिन्न राज्यों में भेजते हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि जो स्थानीय मुस्लिम बंधु यहां से सेवई लेकर अपने घर जाते हैं, वे ईद के दिन बनाकर लोगों का मुंह भी मीठा कराते हैं.

लॉकडाउन की चपेट में सेवई कारोबार
वहीं लॉकडाउन के कारण सेवई कारोबारियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी कड़ी में जब ईटीवी भारत ने कारखाने में काम करने वाले मजदूरों से बातचीत की तो उनका कहना रहा कि इस बार लॉकडाउन की वजह से बड़ी ज्यादा मंदी देखने को मिल रही है. हर बार यह काम होली के बाद से ही शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार यह अभी 20 दिन पहले से शुरू हुआ है. उन्होंने बताया कि इसको बनाने में बड़ी मेहनत लगती है. इसके लिए सबसे पहले मैदे को छान करके उसे गूथा जाता है. उसके बाद मशीन में डालकर सेवई बनाया जाता है और इसे सूखने में कुल 12 घंटे का समय लगते हैं.

बाजार में महंगी बिक रही सेवइयां
सेवई व्यापारी किशोर का कहना रहा कि इस बार मात्र 20 से 25 प्रतिशत ही काम हुआ है. लोग फोन से ऑर्डर दे रहे हैं और उनके घर पर ही डिलीवरी की जा रही हैं. कुछ आसपास के लोग आ करके थोड़ा बहुत खरीद रहे हैं, लेकिन हर बार जितना फायदा होता है, उतना नहीं हुआ. उनका कहना है कि उनका सबसे ज्यादा माल अन्य राज्यों में जाता था, लेकिन इस बार ट्रांसपोर्ट न होने की वजह से नहीं जा पा रहा है. उन्होंने बताया कि उनके यहां सेवइयां कई प्रकार से बनाई जाती हैं. जीरो नंबर, मोटी , मध्यम किमामी स्पेशल बनाई जाती है. स्पेशल मार्केट में यह सेवई 50 रुपये किलो में बेची जाती है. इस बार समान थोड़ा महंगा पड़ रहा तो बाजार में थोड़ा महंगा बिक रहा है. हालांकि लॉकडाउन के कारण हमारा लाखों रुपये का नुकसान हुआ है.

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