वाराणसी: शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा. अमर शहीदों के लिए लिखी ये पंक्तियां भी सरकार की बेपरवाही के कारण गलत साबित हो रही हैं. मेले की बात तो दूर, सरकारों को तो वतन पर मिटने वालों की सुध ही नहीं है. इसका उदाहरण है वाराणसी जिले के शहीद रमेश यादव. रमेश यादव दो साल पहले पुलवामा हमले में देश को बचाते हुए शहीद हुए थे. उस समय सरकार ने शहीद के परिजनों से लंबे-चौड़े वादे किए पर आज तक कोई वादा पूरा नहीं हुआ. पेट्रोल पंप देने से लेकर स्मृति द्वार बनाने की बातें, सिर्फ बातें ही रह गईं. आज उनकी शहादत की दूसरी बरसी है.
शहादत को हुए 2 साल, आज तक पूरे नहीं हुए सरकारी वादे - pulwama attack mrtyer Ramesh Yadav
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में शहीद रमेश यादव के परिजन, शासन से नाराज हैं. पुलवामा हमले में शहीद हुए रमेश यादव की दूसरी बरसी आज यानी 14 फरवरी को है. इस अवसर पर परिजनों ने आरोप लगाया कि सरकार ने पेट्रोल पंप देने, शहीद के नाम पर स्मृति द्वार बनाने सहित कई वादे किए थे. आज तक एक भी वादा पूरा नहीं हुआ.
चिरईगांव ब्लॉक के तोफापुर के रहने वाले शहीद रमेश यादव के परिजन जितना उनकी शहादत पर गर्व करते हैं, उतना सरकारी तंत्र पर आंसू बहाते हैं. परिवार वालों का आरोप है कि वादे तो लंबे चौड़े थे, लेकिन इन वादों को पूरा करने वाले नेता अब उन्हें भूल चुके हैं. रमेश की याद में पेट्रोल पंप मिलने से लेकर, उनकी स्मृति में द्वार बनाने, उनकी प्रतिमा लगाने और उनके घर तक आने वाली सड़क के निर्माण के वादे अब तक अधूरे पड़े हैं.
14 को पूरे होंगे शहादत के दो साल
14 फरवरी यानी आज उनकी शहादत की दूसरी बरसी है. शासन-प्रशासन के आश्वासन के बाद भी शहीद रमेश यादव की स्मृति द्वार का कार्य मूर्तरूप नहीं ले सका है. शहीद रमेश यादव की पत्नी रीनू यादव भी शहादत की याद में अभी तक स्मृति द्वार, स्मारक, सड़क नहीं बनने से क्षुब्ध हैं.
जिलाधिकारी से गुहार
परिवार के लोगों का कहना है कि इसके लिए जिलाधिकारी महोदय को भी पत्र देकर अवगत कराया गया है. पेट्रोल पंप का वादा भी अधूरा है.पत्र देकर भी अभी तक काम नहीं बना. इस बात का हमें दिल में मलाल है. रीनू यादव ने कहा कि पति को शहीद हुए दो वर्ष होने को हैं लेकिन स्मृति द्वार, स्मारक एवं सड़क निर्माण किए जाने का मात्र आश्वासन ही मिला.
नहीं दिखाई किसी ने दिलचस्पी
सांसद, विधायक सहित अन्य किसी भी जनप्रतिनिधि ने शहीद रमेश के स्मृति द्वार को बनवाने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई. शहीद रमेश यादव, पत्नी रेनू यादव, पिता श्याम नारायण, माता राजमती, भाई राजेश, सभाजीत, कन्हैया, साला राहुल आदि की लालसा आज भी अधूरी है. देश के लिए जान कुर्बान करने वाले शहीद रमेश यादव की शहादत पर देशवासियों को गर्व है. परिजनों का कहना है कि शहादत पर सियासत नहीं होनी चाहिए. क्षेत्रवासियों की भावनाओं की कद्र और शहादत को यादगार बनाए रखने हेतु स्मृति द्वार के निर्माण में अब देर होना आमजन के मन को ठेस पहुंचाना एवं सहानुभूति को कुचलने जैसा है.
जिम्मेदारों ने नहीं उठाया फोन
वहीं इस मामले में क्षेत्रीय विधायक व कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने मोबाइल फोन नहीं उठाया.