वाराणसी: साधना का अर्थ आस्था से जुड़ा है, जो किसी न किसी रूप में हर मनुष्य में निहित है. ऐसे में कला भी साधना का एक प्रमुख तत्व है. जिसके माध्यम से ईश्वर प्राप्त मार्ग आसान व सुलभ हो जाता है. अगर किसी व्यक्ति का ईश्वर के प्रति आस्था चरम पर हो तो वह उसे अपने कर्म में भी ईश्वर के दर्शन होने लगते हैं. काशी में बड़े-बड़े संत व साधकों ने अपनी साधना व कर्म के दृढ़ इच्छाशक्ति से ईश्वर को प्राप्त किया. आज जहां विभिन्न मंदिरों में भगवान गणेश का विधि विधान से पूजा हो रहा थी, वहीं काशी के एक क्षेत्र में भगवान गणेश की आराधना तो हो रही थी लेकिन माध्यम दूसरा था. काशी के अस्सी क्षेत्र में रहने वाले भगवान गणेश के अनोखे भक्त और प्रसिद्ध चित्रकार विजय आंखें बंद कर अपने आराध्य श्री गणेश के चित्र कागज पर उतार रहे थे.
ऐसा शख्स जो आंखे बंद कर बना देता है बप्पा की सुंदर आकृति, आप भी देख कर हो जाएंगे हैरान
माघ कृष्ण चतुर्दशी विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश का अवतरण हुआ था. इसी वजह से माया नगरी मुंबई सहित पूरे देश में उनके पूजन अर्चन का विधान है. धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में गणेश उत्सव बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. विभिन्न स्थानों, घरों और मंदिरों में 10 दिनों तक का यह अनुष्ठान किया जाता है. सूर्य की पहली किरण के साथ ही मंदिरों में भगवान गजानन का पूजन-पाठ विधि विधान से शुरू हुआ. आज गणेश चतुर्थी पर हम आपको एक ऐसे मूर्तिकार और चित्रकार से मिलवाने जा रहे हैं जो आंख बंद कर भगवान गणेश की आकृति कुछ क्षण मात्र में कागज पर उतार देते हैं.
मूर्तिकार विजय आंखे बंद कर बना देते हैं बप्पा की सुंदर आकृति
दरअसल, मूर्तिकार विजय मन से श्री गणेश के मंत्र का उच्चारण करते हुए और आराध्य का ध्यान कर बमुश्किल से एक या दो मिनट में भगवान की आकृति कैनवास पर उकेर देते हैं. इस कला से यह अपना नाम लिम्का बुक में दर्ज करा चुके हैं. इनकी पेंटिंग की प्रदर्शनी देश के कई हिस्सों में लग चुकी है. गणेश महोत्सव के पहले दिन बन्द आंखों 108 पेंटिंग बनाकर भगवान गणेश का पूजन प्रारंभ करते हैं.
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए विजय मूर्तिकार ने बताया काशी के विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों में जाकर पेंटिंग बनाते हैं. काशी में विराजमान 56 विनायक में भी पेंटिंग बनाया है. विजय पिछले 35 वर्षों से लगातार पेंटिंग बना रहे हैं. हमारे घर में मूर्ति बनाने का कार्य कई पीढ़ियों से किया जा रहा है. वह कहते हैं कि पिछले 10 सालों से बंद आंखों से बप्पा की पेंटिंग बनाता हूं. मेरी आंख खुली हो या बंद हो गणेश जी मेरे हृदय में है. बंद आंखों से लाखों से ज्यादा हम भगवान गणेश की पेंटिंग कैनवास पर बना चुके हैं. जब तक बप्पा की इच्छा होगी तब तक पेंटिंग बनाते रहेंगे.
विजय मूर्तिकार ने बताया यह हमारी साधना है, जब हम प्रभु की कलाअंजलि करते हुए प्रभु को हम जपते हैं तो जैसे लोग माला जपते हैं वैसे ही मैं प्रभु की 108 पेंटिंग बंद आंखों से बना कर उनका स्मरण करता हूं. इसे लेकर मुझे काफी अवार्ड मिले हैं. उन्होंने बताया कि मुझे काशी रत्न मिला है. साथ ही 56 घंटे तक लगातार पेंटिंग बनाने के लिए मेरा नाम लिम्का बुक में भी दर्ज हैं. मैं आगे भी प्रभु की सेवा ऐसे ही करना चाहता हूं.
Last Updated : Sep 10, 2021, 1:44 PM IST