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अधर में हजारों छात्रों का भविष्य, नहीं भरा गया बोर्ड परीक्षा का फॉर्म

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्कूलों के पास छात्रों की सही जानकारी नहीं होने के कारण करीब 10 हजार छात्रों का बोर्ड परीक्षा फॉर्म नहीं भारा जा सका है. ऐसे में इन छात्रों का भविष्य अधर में है. उधर, सीबीएसई ने जब स्कूलों से छात्रों का डाटा मांगा तो अब स्कूल अभिभावकों को फोन करके छात्रों का डाटा जुटा रहे हैं.

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Published : Sep 7, 2020, 6:35 AM IST

वाराणसी:वैश्विक महामारी कोरोना का शिक्षा जगत पर गहरा प्रभाव पड़ा है. ऐसे में सरकार और प्रशासन की तरफ से लगातार यह प्रयास हो रहा है कि, छात्रों की पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहे. जिसको लेकर ऑनलाइन क्लॉसेस व वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिससे विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को जारी रख सके. स्कूलों द्वारा चलाए जा रहे ऑनलाइन क्लॉसेस का फायदा तो विद्यार्थियों को मिल रहा है. लेकिन अब विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा फॉर्म भरने को लेकर के समस्या आ रही है.

महत्वपूर्ण बिंदु-

  • स्कूलों के पास नहीं है छात्रों का डाटा
  • 10 हजार छात्रों का बोर्ड परीक्षा फॉर्म अभी तक नहीं भरा जा सका
  • अभिभावकों से संपर्क कर जुटाया जा रहा डाटा

इन दिनों माध्यमिक विद्यालयों में तो फॉर्म भरे जा चुके हैं, लेकिन सीबीएसई के लगभग 10,000 ऐसे छात्र हैं जिनके प्रवेश की सही जानकारी न होने के कारण उनका बोर्ड परीक्षा फॉर्म अभी तक नहीं भरा गया है. ऐसे में सीबीएसई ने जब स्कूलों से छात्रों का डाटा मांगा तो विद्यालयों की ओर से अभिभावकों से संपर्क कर विद्यार्थियों का डाटा एकत्रित किया जा रहा है.

इस बाबत सीबीएसई के सिटी कोऑर्डिनेटर गुरमीत कौर का कहना है कि हम लगातार अभिभावकों से संपर्क स्थापित कर रहे हैं और आगामी 22 सितंबर तक सभी की फीस भी जमा कर ली जाएगी. जो भी अभिभावक आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं. उनको प्रार्थना पत्र देने को कहा गया है, जिसमें वह फीस जमा न करने का कारण भी स्पष्ट करेंगे. वर्तमान में सभी विद्यालय अभिभावकों से बच्चों की फीस जमा करने की अपील कर रहे है. उम्मीद है कि जल्द ही फीस जमा कर दिया जाएगा और सभी बच्चों का फॉर्म भी भर दिया जाएगा.

वाराणसी में सीबीएससी के लगभग 150 से अधिक स्कूल है. हर एक विद्यालय में दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों की संख्या 600 से 700 के करीब है. विद्यालयों में बोर्ड परीक्षा के फॉर्म भरे जा रहे हैं. लेकिन, लगभग हर विद्यालय में करीब 100 छात्र ऐसे हैं जिनके विद्यालय से जुड़े रहने की जानकारी स्कूल के पास नहीं है.

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