वाराणसी:सावन के महीने में काशी शिव की भक्ति में पूरी तरह से लीन दिख रही है. दूर-दूर से केसरिया रंग के कपड़े पहन कर कांवड़ियों का जत्था बाबा विश्वनाथ धाम पहुंच रहा है. इन सबके बीच सफेद रंग के कपड़ों में बाबा के कुछ अलग और कठिन संकल्प लेकर दर्शन के लिए निकले ऐसे भक्त भी दिखाई देते हैं, जिन्हें डाक बम कहा जाता है.
बड़ी कठिन है बाबा की डगरिया, फिर भी चले जा रहे 'डाकबम' कांवड़िया
उत्तर प्रदेश के काशी में दूर-दूर से केसरिया रंग के कपड़े पहनकर कांवड़ियों का जत्था बाबा विश्वनाथ धाम पहुंच रहा है. वहीं सफेद कपड़ों में 'डाक बम' भी लंबी यात्रा कर बाबा भोलेनाथ के दरबार में अपनी हाजिरी लगाने पहुंचे हैं.
कौन हैं डाक बम और क्यों होता है इनका संकल्प इतना कठिन
बाबा भोलेनाथ के भक्तों में डाक बम कुछ अलग ही दिखते हैं. एक तरफ जहां कांवरिया हाथों में कावड़ लेकर केसरिया रंग के कपड़े पहने बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने दूर-दूर से आते हैं. वहीं यह डाक बम भी लंबी यात्रा कर बाबा भोलेनाथ के दरबार में अपनी हाजिरी लगाने पहुंचते हैं. डाक बम गंगा से जल लेने के बाद जब भोलेनाथ का जलाभिषेक करने निकलते हैं, तो 24 घंटे के अंदर ही इन्हें अपना संकल्प पूरा कर बाबा का अभिषेक करना होता है. सफेद रंग के कपड़े पहनकर गले में सीटी लटकाए उसे बजाते हुए चलते हैं ताकि इनके रास्ते में कोई रुकावट न आए.
भूखे प्यासे चलते जाते हैं डाक बम
संकल्प की पूर्ति के लिए यह जल भरकर बाबा धाम के लिए निकलते हैं. एक बार जल भरने के बाद यह डाक बम खाना, पानी या शौच किसी भी चीज के लिए नहीं रुकते. इसके बाद तो यह सीधा भोलेनाथ के दरबार पहुंचकर ही रुकते हैं. इस दौरान इनके मार्ग में आने वाली भीड़ को स्थानीय लोग हटाते रहते हैं और दौड़ते हुए डाक बम को पानी पिलाते हैं. सेवा भाव के साथ इनके संकल्प को पूरा करने में जुटकर लोग खुद भी पुण्य कमाते हैं और इनके कठिन संकल्प को पूरा कराते हैं.