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एएमयू के आधार पर होगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पाण्डुलिपियों का संरक्षण

वाराणसी में स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के बीच एक एएमयू साइन किया गया है. इस एएमयू के तहत आईजीएनसीए के सहयोग से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मौजूद दुर्लभ पाण्डुलिपियों का संरक्षण किया जाएगा.

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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय

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Published : Jul 5, 2022, 7:00 PM IST

वाराणसीः संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में मौजूद दुर्लभ पाण्डुलिपियों के संरक्षण के लिए विश्वविद्यालय ने सोमवार को एक एएमयू साइन किया है. विश्वविद्यालय ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के साथ 2 वर्षों का करार किया है. जिसके तहत अब आईजीएनसीए के सहयोग से पाण्डुलिपियों का संरक्षण किया जाएगा. खास बात यह है कि इस करार के तहत 2 वर्षों के लिए विश्वविद्यालय को लगभग 24 लाख रुपये की धनराशि मुहैया कराई जाएगी. जिससे उचित मशीनों व सामग्रियों का खरीदारी कर पाण्डुलिपियों को संरक्षित किया जा सकेगा.

पाण्डुलिपियों के संरक्षण के लिए विश्वविद्यालय ने किया एएमयू साइन

बता दें, कि धर्म नगरी काशी में मौजूद संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सरस्वती पुस्तकालय में लगभग 95,000 दुर्लभ पाण्डुलिपियां उपलब्ध हैं, जो जर्जर स्थिति में हैं. इन पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए विश्वविद्यालय के द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली से पाण्डुलिपि संरक्षण केंद्र पर दो वर्षों तक के लिए समझौता हुआ है. जिसमें विश्वविद्यालय को 12 लाख रुपये साल के हिसाब से 24 लाख रुपये की आर्थिक धनराशि मुहैया कराई जाएगी.

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विश्वविद्यालय के विकास में जुड़ा नया अध्याय

विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि इस समझौते से विश्वविद्यालय के इतिहास में विकास की धारा का एक नया अध्याय जुड़ गया है. इससे पाण्डुलियों के संरक्षण में मदद मिलेगी और हम विरासत को पुनः प्राप्त कर इसके ज्ञान तत्व का प्रचार प्रसार कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि 2 वर्षों के लिए करार हुआ है, जिसे आगे भी बढ़ाया जाएगा.

उन्होंने बताया कि 2 वर्षों तक चलने वाले पाण्डुलिपि संरक्षण केंद्र में दो संरक्षक नियुक्त होंगे. जिसमें प्रमुख संरक्षक को 25 हजार और संरक्षक को 20 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से वेतन भी दिया जाएगा. इसके साथ ही समझौते में संरक्षण के लिए सामग्री एवं उपकरण करने के लिए धन आवंटित होंगे, जिसकी आख्या प्रत्येक माह राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन के निदेशक को भी उपलब्ध कराई जाएगी.

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