वाराणसीः काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष और संस्कृत के प्रकांड विद्वान प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल को दिल्ली में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. वह सोमवार को अपराह्न 11:30 बजे विमान से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. उनकी इस उपलब्धि से पूरी काशी में हर्ष का माहौल है. घर से उन्हें 51 वैदिक विद्वानों ने मंत्रोच्चार के साथ विदा किया.
प्रोफेसर रामयत्न शुक्ल नौ वर्ष की आयु से संस्कृत के प्रचार-प्रसार से जुड़े हैं. वह संस्कृत की निशुल्क शिक्षा देते हैं. छात्रों की हर समस्या का वह समाधान करते हैं. उनका जन्म सन् 1932 में हुआ था. बचपन से ही उनकी संस्कृत विषय में अधिक रुचि थी. उनके पिता राम निरंजन शुक्ल भी संस्कृत के विद्वान थे. उन्होंने धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी व स्वामी चैतन्य भारती से वेदांत शास्त्र, हरिराम शुक्ल से मीमांसा और पंडित रामचन्द्र शास्त्री से दर्शन व योग शास्त्र की शिक्षा प्राप्त की थी.
प्रो. शुक्ल बीएचयू संस्कृत विद्या धर्मविद्या संकाय में आचार्य रह चुके हैं. वह सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में भी व्याकरण विभाग के आचार्य व अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं. मुख्य रूप से भदोही जनपद के कोनिया क्षेत्र के कलातुलसी गांव निवासी प्रो शुक्ल के पढ़ाए हुए कई छात्र कुलपति पद पर आसीन है. यही नहीं उन्होंने शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती के साथ स्वामी गुरु शरणानंद, रामानंदाचार्य, स्वामी रामभद्राचार्य को भी विद्या का दान दिया है.