वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में प्रतिवर्ष होने वाली संकट मोचन मंदिर के संगीत समारोह को कोरोना वायरस भी नहीं रोक सका. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पहली बार यह संगीत समारोह किया गया. जिसे पूरे विश्व में लोग इसे देख पा रहे हैं और संगीत की आराधना करने वाले कलाकार इसमें उपस्थिति लगाकर खुद को धन्य मानते हैं. श्री संकट मोचन डिजिटल संगीत समारोह 2020 की चौथी निशा का शुभारंभ बनारस घराने के सुविदित कलाकार पंडित रविशंकर मिश्रा के कथक नृत्य की प्रस्तुति से हुआ.
उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना 'गाइए गणपति जग बंदन' से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की. तत्पश्चात् पारंपरिक तीन ताल में टुकड़ा, गत एवम् आमद की प्रस्तुति दी. उनको तबला सहयोग रामकुमार मिश्रा एवं गायन में गौरव मिश्र ने सहयोग प्रदान किया. उन्होंने अंत में दादरा में भाव नृत्य की प्रस्तुति के माध्यम से अपनी प्रस्तुति को विराम दिया.
कलाकार सुश्री दीपिका वरदराजन ने 'जय जय जय जानकी कांत' भजन से अपनी प्रस्तुति दी
दूसरी प्रस्तुति युवा प्रतिभाशाली गायक कलाकार सुश्री दीपिका वरदराजन किया. कर्नाटक शैली की प्रसिद्ध गायिका दीपिका चेन्नई से हमारे से जुड़ी, उन्होंने बहुचर्चित फ़िल्म बाहुबली में पार्श्वगायन कर काफी लोकप्रियता बटोरी थी. हनुमत दरबार में उन्होंने स्वरांजली की अभ्यर्थना का शुभारंभ 'जय जय जय जानकी कांत' से किया. पहाड़ से फूटा हुआ कोई झरना जैसे कांच की तरह पारदर्शी होता है. वैसी ही पारदर्शी एवं मधुर आवाज़ से स्वरांजली अर्पित कर रही कलाकार दीपिका वरदराजन ने भजन 'राम राम राम, राम भाजो भाई' गाकर वातावरण को राम मय कर दिया एवं अंत में बनारसी चैती "चैत मास चुनरी रंगैबे" गाकर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया.
दिल्ली से पंडित देबू चौधरी ने तीनों पीढ़ियों के साथ अपनी प्रस्तुति दी
बुधवार रात संगीत समारोह के क्रम को बढ़ाते हुए अगली प्रस्तुति सितार वादन सेनिया घराने के वरिष्ठ कलाकार पद्मभूषण पंडित देबू चौधरी, अपने सुपुत्र पंडित प्रतीक चौधरी एवं अपने पौत्र अधिराज चौधरी के साथ नई दिल्ली से जुड़े. उन्होंने अपनी तीनों पीढ़ियों के साथ पहली बार ये सार्वजनिक प्रस्तुति दी. उन्होंने राग किरवानी ने आलाप एवं जोड़ को सुनाया.
बनारस घराने के प्रतिनिधि कलाकार श्री गणेश प्रसाद मिश्र अपने आवास से प्रस्तुति हेतु जुड़़े
तत्पश्चात बनारस घराने के प्रतिनिधि कलाकार श्री गणेश प्रसाद मिश्र अपने आवास से गायन की प्रस्तुति हेतु जुड़े . उन्होंने ठुमरी, चैती, दादरा की कई पारंपरिक बंदिशें गाकर सुनाई. सिद्धांत मिश्रा ने तबला वादन के माध्यम से उन्हें सहयोग प्रदान किया.