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Published : Mar 7, 2020, 9:03 PM IST

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कोरोना का खौफ: काशी में मास्क पहनकर साधु-संतों ने खेली फूलों की होली

पूरे भारत में कोरोना वायरस का डर बना हुआ है. इसका खौफ धर्म नगरी वाराणसी में भी देखने को मिला. साधु-संतों ने यहां मास्क लगाकर फूलों की होली खेली.

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मास्क पहनकर साधु-संतों ने खेली फूलों की होली.

वाराणसी: होली का पर्व नजदीक है और हर कोई होली के हर्षोल्लास और उमंग में डूबा हुआ है. वहीं इन दिनों हर किसी के मन में एक डर भी है, यह डर कोरोना वायरस का है. इसको लेकर लगातार भारत सरकार और सामाजिक संस्थाओं से लेकर हर जानकार मास्क पहनकर बराबर हाथ धोते रहने और बचाव के अन्य तरीके अपनाने की सलाह दे रहे हैं. इसी कड़ी में आज धर्म नगरी वाराणसी में होली के पावन मौके पर धार्मिक कृतियों के जरिए खुद को सुरक्षित रखने का एक अनोखा संदेश दिया गया. साधु-संतों ने मुंह पर मास्क लगाकर फूलों की होली खेली.

मास्क पहनकर साधु-संतों ने खेली फूलों की होली.

इस अनोखे संदेश में वाराणसी के साधु-संतों ने फूल, गुलाल संग जमकर होली खेली और भजन गाकर होली के उमंग को बनाए रखा, लेकिन इस दौरान साधु-संतों से लेकर यहां मौजूद संगीतकारों ने अपने मुंह पर मास्क लगाए रखा था. इस मास्क को लगाए जाने के पीछे वजह थी कि लोगों तक यह संदेश पहुंचे कि होली का उमंग और उत्साह कम न हो, लेकिन खुद को सुरक्षित रखते हुए इस का आनंद उठाएं.

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साधु-संतों का कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी भी खुद को सुरक्षित रख कर देश को आगे बढ़ाए जाने की बात कर रहे हैं. यही वजह है कि साधु-संत इस जिम्मेदारी को निभाने का काम कर रहे हैं और फूलों और अबीर-गुलाल से सूखी होली खेलकर लोगों को यह संदेश देना चाह रहे हैं कि खुद को सुरक्षित रखें और घर से बाहर निकलते वक्त मास्क जरूर पहनें. साथ ही कहा कि होली खेलने के दौरान भी चेहरे पर मास्क लगाए रखें, ताकि स्वशन नली के रास्ते कोई भी हानिकारक केमिकल या जीवाणु शरीर के अंदर जाने से रोका जा सके और कोरोना का खौफ भी कम हो. साधु संतों का कहना है कि गर्मी बढ़ने के साथ ही इस वायरस का असर कम होगा. इसलिए जरूरी है कि गोमूत्र का सेवन भी करें, क्योंकि यह वह औषधि है जो बड़ी से बड़ी बीमारी को ठीक कर सकती है.

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