वाराणसी: जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद सरकार टूटे और वर्षों से बंद पड़े मंदिरों के पुनर्निर्माण की बात कर रही है. ये मंदिर ज्यादातर जम्मू-कश्मीर से लेकर लेह लद्दाख के क्षेत्र में स्थित हैं. जैसा कि 90 के दशक में हिंदुओं के मंदिर तोड़ दिए गए थे. अब सरकार ने उन मंदिरों का सर्वे कराकर पुनर्निर्माण कराने का फैसला लिया है. लिहाजा सरकार के इस फैसले का संत समाज ने जमकर स्वागत किया है.
जम्मू-कश्मीर में मंदिरों के पुनर्निर्माण के फैसले का संतों ने किया स्वागत - स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का बयान
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति ने जम्मू-कश्मीर में ध्वस्त मंदिरों का पुनर्निर्माण किये जाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिरों के जीर्णोद्धार से हिंदुओं का स्वाभिमान वापस आएगा.
स्वामी ने कहा हमारा इतिहास फिर होगा जीर्णोद्धार
स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि पचास हजार से ज्यादा छोटे बड़े मंदिर तोड़े गए थे. उन मंदिरों का जीर्णोद्धार का फैसला भारत सरकार ने लिया है. क्योंकि जो मंदिर तोड़े गए वास्तव में वह सिर्फ मंदिर नहीं हैं. वह हमारे कुल देवता, ग्राम देवता, स्थान देवता हैं. हमारा एक पूरा इतिहास डल झील के किनारे से शंकराचार्य घाटी और अनंतनाग के रास्ते में कई मंदिर नष्ट कर दिए गए थे. इन सब के जीर्णोद्धार पर अखिल भारतीय संत समिति ने प्रश्न खड़ा किया था.
हिंदुओं का स्वाभिमान फिर लौटेगा वापस
स्वामी ने कहा कि काला पहाड़ से लेकर मुफ्ती मोहम्मद सईद, महबूबा मुफ्ती तक के शासन काल तक जो अत्याचार हिंदुओं पर हुए हैं. उन अत्याचारों से उभरकर एक बार भी फिर अपने स्वाभिमान के लिए मंदिर के बहाने ही हिंदू खड़ा होगा. मंदिरों के जीर्णोद्धार निर्णय से पूरे देश का संत समाज खुश है.