वाराणसी :सनातन धर्म पर हो रहे कुठाराघात का जवाब देने और राम मंदिर के भव्य निर्माण के बाद लोकार्पण की तैयारी को अंतिम रूप देने के लिए वाराणसी में संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है. देशभर से आए 1200 से अधिक संत इसमें हिस्सा ले रहे हैं. गुरुवार को ही संत वाराणसी पहुंच गए थे. राम मंदिर आंदोलन में मारे गए लोगों की स्मृति में रुद्राभिषेक किया था. आज सुबह लगभग 10:30 बजे संस्कृति संसद का भव्य शुभारंभ किया गया. ड्रोन के जरिए पुष्प वर्षा कर, शंख ध्वनि और डमरू ध्वनि के साथ संतों का स्वागत किया गया. देशभर से आए धर्माचार्य, शंकराचार्य और महामंडलेश्वरों ने धार्मिक मंच के जरिए जमकर राजनीति पर प्रहार किए. संतों ने एक स्वर में कहा कि सनातन धर्म पर राजनीति बर्दाश्त नहीं है. जो भी धर्म में राजनीति का समावेश कर सनातन धर्म को खत्म करने का प्रयास करेगा, संत एकजुट होकर उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे.
सनातन को लेकर संभी संत एकजुट :ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए देश के प्रख्यात संत और उत्तराखंड में परमार्थ निकेतन संस्था के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि आज देश के अंदर जिस तरह से सनातन संस्कृति के ऊपर बयान दिए जा रहे हैं, उसे लेकर इस तरह के आयोजन बहुत महत्वपूर्ण हो जाते हैं. यही वजह है कि 120 से ज्यादा पंथ समुदाय से जुड़े लोग इस आयोजन में शिरकत कर रहे हैं. इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ इतना है कि सनातन संस्कृति को सुरक्षित और संरक्षित करते हुए इसके विशाल स्वरूप को बनाए रखने के लिए सभी को एकजुट होने की जरूरत है.
सनातनियों को एकजुट होना अनिवार्य :विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश भाई का कहना है कि जिस तरह से जिहादी आतंकवाद हर तरफ अपना सिर उठा रहा है, उसे जवाब देने के लिए सनातनियों को एकजुट होना अनिवार्य है. इस तरह के आयोजन विश्व में भारत का कद और बढ़ाने वाले हैं, क्योंकि आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया का हर हिस्सा जिहादी आतंकवाद से परेशान है. उसका जवाब देने के लिए इस तरह के आयोजन के जरिए संत एक बड़ा संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं. तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में संतों ने धर्म रक्षा को लेकर एकजुटता दिखाई. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, कार्यक्रम के संयोजक गोविंद शर्मा, परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय आदि मौजूद रहे. मंच पर 50 से ज्यादा संतो को बैठाया गया था.