वाराणसी:'मन चंगा तो कठौती में गंगा', संत शिरोमणि गुरु रविदास के ऐसे ही विचार अब आपको उनके म्यूज़ियम में सुनाई और दिखाई देंगे. प्रदेश सरकार वाराणसी में उनके जन्मस्थली सीरगोवर्धनपुर में भव्य और आधुनिक म्यूज़ियम बनवाने जा रही है. लगभग 4 हजार वर्ग मीटर में बनने वाले म्यूजियम की लागत 24 करोड़ है.
संत शिरोमणि गुरु रविदास भव्य म्यूजियम संत रविदास के अनुयायी पूरी दुनिया में हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यहां शीश नवाने पहुंच चुके हैं. इसके अलावा हर साल संत रविदास जयंती की अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं. भारत के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा कनाडा, जर्मनी आदि देशों में संत शिरोमणि के अनुयायी करोड़ों की संख्या में हैं, जो प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में वाराणसी स्थित उनकी जन्मस्थली पर मत्था टेकने आते हैं. ऐसे अब सभी को यहां संत शिरोमणि के संग्रहालय का भी अवलोकन करने को मिलेगा. संत शिरोमणि गुरु रविदास भव्य म्यूजियम संग्रहालय में होगी पांच बड़ी गैलरी: यह संग्रहाल संत रविदास के जीवन पर आधारित होगा. जहां इस संग्रहालय के जरिए संत शिरोमणि की आध्यात्मिक विरासत को संजोया जाएगा. ख़ास बात यह है कि ये संग्रहालय आपको 15वीं-16 सदी में वापस ले जाएगा. इस बारे में प्रदेश संग्रहालय निदेशालय के निदेशक आनंद कुमार सिंह ने बताया कि संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धन में उनके जीवन और दर्शन पर आधारित संग्रहालय में 5 बडी गैलरी होंगी. जिसमें संत रविदास की विरासत उनका जीवन, शिक्षाएं और रचनाओं को सजीव चित्रित किया जाएगा. संत शिरोमणि गुरु रविदास भव्य म्यूजियम संत शिरोमणि के जीवन अनछुए पहलुओं की मिलेगी जानकारी: उन्होंने बताया कि इसमें डिजिटल चित्र और चलचित्र के माध्यम से संत रविदास के जन्म, जीवन और आध्यात्मिक संदेश के अलावा उनके गृहस्थ जीवन की जानकारी भी उपलब्ध होगी. यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ये संग्रहालय काफी इंटरेक्टिव होगा. जिसमे संत शिरोमणि रविदास के जीवन के बहुत से अनछुए पहलुओं की जानकारी भी शामिल होगी. संग्रहालय में भक्ति आंदोलन के उनके योगदान के बारे में जानकारी संजोई जाएंगी. रैदास द्वारा दी गई शिक्षा, उपदेश और रचना के बारे में गैलरी में विशेष स्थान दिया गया है. जिससे आने वाली पीढ़ी भी उनके विचारों को जान सके. ग्राफ़िक्स व ऑडियो वीडियो के माध्यम से उनके साहित्यिक संकलन को दर्शाया जाएगा. उन्होंने बताया कि शासन को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. जल्द ही इसकी स्वीकृति मिलने की उम्मीद है, इसके बाद संग्रहालय निर्माण का काम शुरू होगा.लैंडस्केपिंग के जरिए खूबसूरत बनेगा संग्रहालय: उन्होंने बताया कि लैंडस्केपिंग के माध्यम से संग्रहालय को और खूबसूरत बनाया जाएगा. प्रशासनिक भवन, जन सुविधा के इस्तेमाल की चीजें, कैफिटेरिया, सोविनियर शॉप, श्रद्धालुओं के बैठने आदि के लिए उपयुक्त स्थान भी यहां होगा.यह भी पढे़ं: काशी में संस्कृत और क्रिकेट का दिखा अद्भुत संयोग, धोती कुर्ता में बटुकों ने लगाए चौके-छक्के, संस्कृत में हुई कमेंट्री