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वाराणसी: घाटों पर घूमता अनोखा टैलेंट, आप भी सुनिये... - बनारस की ठुमरी

काशीनगरी बनारस अपनी जमीन पर अनेकों प्रतिभाओं को समेटे हुए हैं. जी हां, काशी के निषाद घाट पर नाविक भौमि निषाद पिछले 30 सालों से नाव चलाने के साथ ही गाना गाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं.

नाविक भौमि निषाद से बातचीत.
नाविक भौमि निषाद से बातचीत.

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Published : Oct 10, 2020, 2:26 PM IST

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी के साथ-साथ बनारस को देश की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. यही वजह है कि बनारस के घाटों पर शहनाई बजाने वाले उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को भारत रत्न से नवाजा गया. ऐसे बहुत से बनारस घराने के कलाकार हुए, जिन्होंने देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अपना परचम लहराया.

बनारस की यही पहचान लोगों को सात समंदर पार से खींच कर लाती है. आज हम आपको एक ऐसे नाविक से मिलाते हैं, जो पिछले 30 सालों से अपने अंदर एक अनोखा टैलेंट छुपाए बैठे हैं. भौमि निषाद पेशे से एक नाविक हैं और इनका गाना सुनने के लिए लोग उत्साहित रहते हैं. भौमि निषाद को लोग चेत सिंह घाट, केदार घाट और अस्सी घाट पर खोजते रहते हैं.

नाविक भौमि निषाद से बातचीत.

शानदार गायकी के बाद भी निषाद अपने पैतृक कार्य को आगे बढ़ाते हैं. उनका कहना है कि जब मन होता है तो वे गाना गाते हैं. बनारस की गलियों और घाटों पर अपने गीत से भौमि निषाद सबको मोहित कर लेते हैं. भौमि निषाद ने बताया कि बनारस के घाटों पर नाव चलाकर और गाना गाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. इससे उन्हें सुकून मिलता है. उनका कहना है कि उनके नाव पर बैठने वाले बनारस की परंपरा की ठुमरी, कजरी सुनते हैं और इस बात के वे पैसे नहीं लेते.

जब भौमि निषाद से पूछा गया कि वे मुंबई जाकर अपन इस गीत-संगीत की प्रतिभा को आगे क्यों नहीं बढ़ाया. इस बात पर उनका कहना है कि उन्हें जो मजा बनारस के घाटों पर आता है, वे सुकून और शांति विश्व के किसी कोने में नहीं है. बनारस के लोगों का यह प्रेम है कि उनके गाने को सुनने के लिए लोग अक्सर उन्हें खोजते रहते हैं.

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